2025 का सुपरस्टार: सोने ने इक्विटी को पछाड़ा, 67% का धमाकेदार रिटर्न, देखें क्या बोले एक्सपर्ट
नई दिल्ली। सुरक्षित निवेश परिसंपत्ति के रूप में सोने की चमक बरकरार है और इस साल घरेलू बाजार में इसने अबतक लगभग 67 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि वैश्विक परिस्थितियां और रुपये–डॉलर की दर लगभग समान बनी रहती है या रुपया कमजोर होता है, तो 2026 में सोने की कीमत पांच प्रतिशत से 16 प्रतिशत प्रति 10 ग्राम और चढ़ सकती हैं। उनका यह भी कहना है कि चूंकि सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई के करीब हैं, इसलिए अनुशासित और सोच-विचार कर निवेश करना जरूरी है।
दिल्ली सर्राफा संघ के आंकड़ों अनुसार, इस साल एक जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमत 79,390 रुपये प्रति 10 ग्राम थी जो बीते शुक्रवार पांच दिसंबर को 1,32,900 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गयी। मेहता इक्विटीज लि. के उपाध्यक्ष (जिंस) राहुल कलंत्री ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘चालू वर्ष में सोने ने असाधारण रूप से मजबूत रिटर्न दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें इस साल अब तक लगभग 60 प्रतिशत (लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन) तक चढ़ चुकी हैं। इसका मुख्य कारण सुरक्षित निवेश की मांग, भू-राजनीतिक तनाव और दुनिया के बड़े केंद्रीय बैंकों के ब्याज दर घटाने की उम्मीद है। वहीं भारत में रिटर्न इससे भी ज्यादा है। घरेलू बाजार में सोने की कीमत इस साल अब तक करीब 67 प्रतिशत चढ़ चुकी है। इसका अन्य कारण डॉलर के मुकाबले रुपये का कमजोर होना और मजबूत वैश्विक संकेत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर, 2025 में सोने ने अधिकांश निवेश उत्पादों (इक्विटी शेयर और बॉन्ड) की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है और साबित किया है कि अनिश्चितता और अस्थिर समय में यह सबसे भरोसेमंद साधन है।’’ अगर इक्विटी शेयर पर रिटर्न देखा जाए तो निफ्टी 50 टीआरआई (कुल रिटर्न सूचकांक) और निफ्टी 500 टीआरआई ने तीन दिसंबर तक क्रमशः 6.7 प्रतिशत और 5.1 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। वहीं 10 साल के सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल दिसंबर 2025 की शुरुआत में लगभग 6.53 प्रतिशत रहा।
सोने की कीमत में आई तेजी के कारणों के बारे में पूछे जाने पर कलंत्री ने कहा, ‘‘वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितता, डॉलर सूचकांक में कमजोर रुख,मुद्रास्फीति की चिंता और इसके खिलाफ सुरक्षा की आवश्यकता ने निवेशकों के लिए सोने में निवेश को आकर्षक विकल्प बनाया है। वैश्विक केंद्रीय बैंकों और संस्थागत निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर खरीद के अलावा अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और अनुकूल मौद्रिक नीति की संभावनाएं भी सोने की बढ़ती कीमतों का एक महत्वपूर्ण कारक रही हैं। इसके साथ ही, डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी ने भारत में सोने की कीमतों में और इजाफा किया है।’’ आनंद राठी शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स लि. के निदेशक थॉमस स्टीफन ने कहा, ‘‘वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, मुद्रास्फीति की लगातार चिंताएं और ब्याज दरों में कटौती की संभावना ने निवेशकों को सोने जैसी सुरक्षित निवेश वाली संपत्तियों की ओर आकर्षित किया है। इसके अलावा, दुनिया भर में केंद्रीय बैंकों की मजबूत खरीदारी और त्योहारों की मांग ने सोने की कीमतों में तेजी को और बढ़ावा दिया है।’’
अगले साल के परिदृश्य के बारे में कलंत्री ने कहा, ‘‘यदि वैश्विक परिस्थितियां और रुपये–डॉलर दर लगभग समान बनी रहती है या रुपया कमजोर होता है, तो भारत में सोने की कीमत 1.45 लाख से 1.55 लाख रुपये को पार कर सकती है।’’ स्टीफन ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि आने वाले वर्ष में सोने की कीमत पांच प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी, क्योंकि जिन कारणों ने इस साल कीमतों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, उनके अगले वर्ष भी जारी रहने की संभावना है।’’ यह पछे जाने पर कि क्या मौजूदा स्थिति में सोने में निवेश उपयुक्त है, स्टीफन ने कहा, ‘‘हां।
मौजूदा हालात सोने में निवेश के लिए अनुकूल हैं। खासकर उन लोगों के लिए जो अपने निवेश में विविधता और मुद्रास्फीति तथा वैश्विक अनिश्चितताओं से बचाव चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा,‘‘हालांकि, सोने में निवेश को जोखिम के बचाव के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि एकमात्र निवेश विकल्प के रूप में। निवेश का लगभग पांच प्रतिशत से 10 प्रतिशत कीमती धातुओं (सोना और चांदी) में निवेश होना चाहिए। सोने और चांदी में निवेश जोखिम के आधार पर होना चाहिए।’’
कलंत्री ने कहा, ‘‘चूंकि सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई के करीब हैं (वर्तमान में लगभग 4,200 डॉलर प्रति औंस), इसलिए अनुशासित और सोच-विचार कर निवेश महत्वपूर्ण है। आगे की वृद्धि भू-राजनीतिक जोखिमों और मुद्रास्फीति की चिंताओं पर निर्भर है। उन्होंने कहा,‘‘सुरक्षित निवेशकों के लिए पोर्टफोलियो में आठ से 12 प्रतिशत का हिस्सा सोने में होना उपयुक्त है। वहीं अधिक उतार-चढ़ाव या रुपये के मूल्य में गिरावट की आशंका वाले निवेशकों के लिए यह 12 से 17 प्रतिशत तक रखा जा सकता है। वर्तमान समय में सबसे अच्छा तरीका यह है कि गोल्ड ईटीएफ में एसआईपी के माध्यम से निवेश करें या कीमतों में चार से पांच प्रतिशत की गिरावट पर अतिरिक्त हिस्सेदारी जोड़ें।’’
स्टीफन ने भी कहा कि अब तक हुई तेज बढ़ोतरी को देखते हुए एकमुश्त निवेश के बजाय एसआईपी (व्यवस्थित निवेश योजना)/ एसटीपी (व्यवस्थित हस्तांतरण योजना) के जरिए निवेश करना बेहतर होगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान परिवेश में, गोल्ड ईटीएफ निवेश का पसंदीदा तरीका है क्योंकि ये खरीद-बिक्री के लिहाज से सुगम हैं। साथ ही भौतिक रूप से सोना रखने के उलट, इसके रख-रखाव या सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है। पारंपरिक जरूरतों के लिए, खासकर भारत में, जहां शादी, त्योहारों और पारिवारिक अवसरों में सोने की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, भौतिक सोने में थोड़ा सा हिस्सा रखना पूरी तरह से उचित है।’’ स्टीफन ने कहा, ‘‘हालांकि, पूंजी सृजन के मकसद से सोने के आवंटन का अधिकांश हिस्सा ईटीएफ के माध्यम से बनाए रखना सबसे अच्छा है।’’
