BHU की पुष्प प्रदर्शनी में प्रयागराज माघ मेले की भव्य झलक, चंद्रयान मॉडल और जैविक खेती ने लूटी महफिल

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Published By Muskan Dixit
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वाराणसी। चंद्रयान मिशन की सफलता तथा प्रयागराज में आगामी माघ मेले और जैविक खेती की थीम पर आधारित मालवीय स्मृति पुष्प प्रदर्शनी का शुभारंभ गुरुवार को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के मालवीय भवन परिसर में कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने किया। महामना की आकृति हो या पुष्पों से तैयार मंडप, तमाम विशेषताओं के साथ यह प्रदर्शनी जनसामान्य को आकर्षित कर रही है। यह वार्षिक प्रदर्शनी वाराणसी समेत आसपास के जनपदों से सैकड़ों प्रदर्शकों को भागीदारी का अवसर प्रदान करती है। प्रदर्शनी के उद्घाटन के बाद कुलपति ने विविध कलाकृतियों एवं स्टॉलों का अवलोकन किया।

कुलपति ने सुंदर पुष्पाकृतियों की प्रशंसा की तथा उद्यान विशेषज्ञ इकाई के पदाधिकारियों और कर्मचारियों को शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह, पुष्प प्रदर्शनी के सचिव तथा उद्यान विशेषज्ञ इकाई के आचार्य प्रभारी प्रो. सरफराज आलम, उद्यान विशेषज्ञ इकाई के सह-समन्वयक डॉ. कल्याण बर्मन सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे। प्रो. सरफराज आलम, सचिव, पुष्प प्रदर्शनी ने प्रदर्शनों के बारे में विस्तार से बताया कि प्रदर्शनी में मुख्य रूप से गुलदाउदी के गमले एवं फूलों के संग्रह, कोलियस, विभिन्न प्रकार के शोभाकारी पौधे एवं रंगीन पत्तियों के समूह लगाए गए थे।

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गुलदाउदी के कटे फूल, गुलाब के कटे फूल, जरबेरा, कार्नेशन, ग्लैडियोलस, रजनीगंधा, गेंदा, गुलाब आदि पुष्पों के गमले, गुलदाउदी के रिफ्लेक्स्ड, इनकर्व्ड, इनकरिंग, स्पाइडर, पोमपॉम, स्पून, एनिमोन आदि प्रारूपों में प्रदर्शित किए गए थे। साथ ही विभिन्न प्रकार के फल एवं सब्जियां, कलात्मक पुष्प सज्जा, मंडप, विश्वविद्यालय मुख्यद्वार का प्रारूप, पुष्पों से सुसज्जित मिशन चंद्रयान एवं कलश तथा रंगोली, पोमैटो, ब्रिमैटो, सुकर्तन कला (टॉपियरी), बोनसाई और हरी पत्तियों के संग्रह, मालवीय जी पर आधारित वास्तुकला के नमूने, मानव पक्षी एवं जलप्रपात आदि मुख्य रूप से आकर्षण के केंद्र रहे।

प्रदर्शनी में विश्वविद्यालय के अन्य विभागों, छात्रावासों, उद्यानों के साथ-साथ वाराणसी जनपद की विभिन्न संस्थाएं, 39 जीटीसी छावनी परिषद, वाराणसी विकास प्राधिकरण, उप-निदेशक उद्यान वाराणसी, जिला उद्यान अधिकारी वाराणसी, मिर्जापुर एवं चंदौली, बनारस रेल कारखाना वाराणसी, केंद्रीय कारागार वाराणसी, पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी, जिला कारागार वाराणसी, धीरेंद्र कन्या महाविद्यालय, विंध्य गुरुकुल कॉलेज मिर्जापुर, स्थानीय नर्सरी, होटल तथा नागरिकों द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी भाग लिया गया। प्रदर्शनी की मुख्य विशेषता जैविक रूप से गमलों में उगाई गई सब्जियां, औषधीय पौधे, मसाले इत्यादि रहे।

इसके अलावा सर्वविद्या की राजधानी में ज्ञान, ध्यान, अध्यात्म द्वारा जनमानस को प्रभावित करने का सरल प्रयास उद्यान विशेषज्ञ इकाई द्वारा किया गया है। भारी उत्साह को देखते हुए जनसाधारण की गणना के लिए फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम लगाया गया है, जिसने केवल दो घंटे के भीतर ही 8 हजार 700 लोगों द्वारा प्रदर्शनी के अवलोकन को दर्ज किया। दर्शकों द्वारा प्रदर्शनी के क्रमबद्ध एवं सुचारु अवलोकन हेतु मुख्य आरक्षी अधिकारी कार्यालय तथा सफाई एवं सहायक सेवाएं इकाई द्वारा विशेष प्रयास किए गए हैं। प्रदर्शनी 27 दिसंबर सायंकाल 6 बजे तक जनमानस के लिए खुली रहेगी। 

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