2025 में रिकॉर्ड तोड़ खाद्यान्न उत्पादन: अमेरिकी टैरिफ की मार के बावजूद चमका कृषि सेक्टर, 2026 में बीज-कीटनाशक बिल का इंतजार!
नई दिल्ली। अमेरिकी शुल्क से कृषि निर्यात में बाधा उत्पन्न होने के बावजूद भारत के कृषि क्षेत्र ने 2025 का समापन पिछले वर्ष के 35.773 करोड़ टन (एमटी) से अधिक रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन के अनुमान के साथ किया जबकि जीएसटी सुधारों ने कच्चे माल की लागत में राहत प्रदान की। हितधारक अब नए साल में महत्वपूर्ण बीज और कीटनाशक विधेयकों के पारित होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि इस साल मजबूती और कमजोरी दोनों देखने को मिली, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती से लागत में काफी बचत हुई जबकि अमेरिकी शुल्क ने बाजार में विविधता लाने के लिए मजबूर किया।
कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘ हमें उम्मीद है कि हम इस वर्ष 2025-26 (जुलाई-जून) में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हासिल करेंगे। खरीफ की पैदावार सकारात्मक बनी हुई है और रबी की बुवाई अच्छी तरह से जारी है।’’ दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य से अधिक रहने से खरीफ की बुवाई को बढ़ावा मिला। कृषि मंत्रालय के प्राथमिक अग्रिम अनुमान के अनुसार 2025-26 के लिए खरीफ खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 17.333 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो 2024-25 में 16.94 करोड़ टन था। चावल का उत्पादन 12.45 करोड़ टन से अधिक होने का अनुमान है जबकि मक्का का उत्पादन 2.83 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
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हालांकि सितंबर में हुई अत्यधिक बारिश ने पश्चिमी तथा पूर्वी क्षेत्रों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। रबी की बुवाई 19 दिसंबर तक 659.39 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई जो पिछले वर्ष की तुलना में आठ लाख हेक्टेयर अधिक है। गेहूं की बुवाई 300.34 लाख हेक्टेयर से 301.63 लाख हेक्टेयर में हुई जबकि दालों की बुवाई 123.02 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 126.74 लाख हेक्टेयर में की गई। उत्पादन में हुई प्रगति के बावजूद सरकारी शोध संस्थान नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने आधार प्रभाव का हवाला देते हुए वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कृषि और संबद्ध क्षेत्र की वृद्धि का अनुमान चार प्रतिशत लगाया है, जो पहले के 4.6 प्रतिशत से कम है। रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन एवं किसानों की आय के बीच असंतुलन से फरवरी में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने पंजाब-हरियाणा सीमा पर लगातार विरोध प्रदर्शन किए।
इन प्रदर्शनों में स्वामीनाथन सूत्र पर आधारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, ऋण माफी और पेंशन की मांगें रखी गईं। मार्च में पुलिस ने इन शिविरों को खाली कराया जिससे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की 123 दिन की भूख हड़ताल समाप्त हुई। बाद में किसान संगठनों ने भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) और बीज विधेयकों के मसौदे के खिलाफ रैलियां निकालीं। अमेरिकी शुल्क से कृषि निर्यात प्रभावित- 56वीं जीएसटी परिषद द्वारा कृषि उपकरणों पर दरों को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का निर्णय (जो 22 सितंबर से प्रभावी होगा) 2025 का सबसे महत्वपूर्ण नीतिगत हस्तक्षेप बनकर उभरा है। इन सुधारों में 1800 सीसी से कम क्षमता वाले ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, सिंचाई प्रणाली, ट्रैक्टर के कलपुर्जे एवं टायर, साथ ही 12 निर्दिष्ट जैव-कीटनाशक, सूक्ष्म पोषक तत्व और उर्वरक कच्चे माल शामिल हैं।
कृषि और निर्माण उपकरणों की प्रमुख वैश्विक कंपनी सीएनएच इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नरिंदर मित्तल ने कहा, ‘‘ कृषि उपकरण उद्योग के लिए 2025 एक सकारात्मक वर्ष रहा है... जीएसटी में दी गई छूट ने किसानों की क्रय शक्ति में सुधार करके और मशीनीकृत समाधानों को अधिक किफायती बनाकर मांग को बढ़ावा दिया है।’’
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अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका द्वारा लगाए गए पारस्परिक शुल्क से भारत के पांच से छह अरब अमेरिकी डॉलर के वार्षिक कृषि निर्यात पर असर पड़ा है। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडीए) के सचिव सुधांशु ने झींगा, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, मसाले, चावल, ग्वार गोंद, काजू तथा दुग्ध उत्पादों पर इसके प्रभावों का उल्लेख किया जिससे आपूर्ति बाधित हुई, मुनाफा कम हुआ, ऑर्डर रद्द हुए और रोजगार जोखिम उत्पन्न हुए। बाजार विविधीकरण और वियतनाम जैसे उच्च शुल्क वाले प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले सापेक्ष प्रतिस्पर्धात्मकता के माध्यम से इस क्षेत्र ने लचीलापन प्रदर्शित किया।
नवंबर में चाय, कॉफी, मसाले और कोकोआ सहित 200 से अधिक खाद्य श्रेणियों पर छूट के माध्यम से राहत मिली। सुधांशु ने कहा कि गैर-अमेरिकी बाजारों के कारण अप्रैल-सितंबर 2025 में कुल कृषि निर्यात वृद्धि में पिछले वर्ष की तुलना में नौ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
नीतिगत दिशा में जोर जारी है-
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 1.37 लाख करोड़ रुपये के बढ़े हुए बजट के साथ, कृषि मंत्रालय ने उच्च उत्पादकता, कम लागत, फसल विविधीकरण, मूल्यवर्धन और प्रत्यक्ष सहायता के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने की नीतियों पर ध्यान केंद्रित किया है। सरकार के पहले मंत्रिमंडल निर्णय के अनुसार, एक जनवरी को पीएम फसल बीमा योजना और मौसम आधारित फसल बीमा को 2025-26 तक बढ़ाया गया (69,516 करोड़ रुपये का परिव्यय) तथा डीएपी उर्वरक सब्सिडी में 3,500 रुपये प्रति टन की वृद्धि की गई।
इस प्रकार कृषि केंद्रित पहले मंत्रिमंडल निर्णयों की तीन साल की परंपरा को बरकरार रखा गया। प्रमुख पहलों में प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (35,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जिसका लक्ष्य 100 कम उत्पादकता वाले जिले और 1.7 करोड़ किसान हैं), 11440 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय दलहन मिशन, रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि और संशोधित ब्याज सब्सिडी योजना का निरंतर संचालन शामिल हैं।
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत अब तक 3.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित की जा चुकी है जिसकी 21वीं किस्त नवंबर में वितरित की गई। इससे नौ करोड़ किसानों को सहायता मिली। इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट 2.0 की शुरुआती परियोजना राजस्थान और तमिलनाडु की चुनिंदा मंडियों में स्वचालित बोली और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं के साथ शुरू किया गया था लेकिन तकनीकी समस्याओं को जनवरी के मध्य तक ठीक किया जाना बाकी है।
नियामक व्यवस्था में सख्ती-
किसानों की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर घटिया फसल सामग्री पर निगरानी बढ़ाने के लिए सरकार ने जैव-उत्तेजक पदार्थों को विनियमित करने हेतु उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ), 1985 की छठी अनुसूची में संशोधन किया है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगामी संसद सत्र में नकली उर्वरकों और कीटनाशकों के लिए आपराधिक अभियोजन एवं लाइसेंस रद्द करने सहित कड़ी सजा का वादा किया है। उर्वरक सचिव रजत कुमार मिश्रा ने कहा कि घरेलू उत्पादन और सऊदी अरब, रूस तथा मोरक्को से आयात के माध्यम से मिट्टी के प्रमुख पोषक तत्वों की पर्याप्त उपलब्धता है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार चीन द्वारा विशेष उर्वरकों पर लगाए गए नए निर्यात प्रतिबंध 2026 के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं।
चुनौतियां और आगे का रास्ता-
वर्ष 2025 के अंत तक, कृषि क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिनमें भूमि का विखंडन, जलवायु परिवर्तन का खतरा, नाशवान फसलों में कटाई के बाद 35-40 प्रतिशत तक नुकसान एवं योजनाओं से किरायेदार किसानों का बाहर रहना शामिल है। वर्ष 2026 के लिए, किसान उत्पादन लागत को कम करने और कृषि आय बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार के पहले कैबिनेट निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। तत्काल ध्यान अगले संसदीय सत्र में बीज विधेयक, 2025 और कीटनाशक प्रबंधन विधेयक, 2020 के मसौदे को पारित करने पर केंद्रित है।
