बरेली: ‘कान में टैग पड़ा तो सरकारी हो जाएगा हमारा पशु’

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अमृत विचार, बरेली। पशुओं से संबंधित योजनाओं का लाभ लेने के लिए केंद्र सरकार में पशुओं की टैगिंग (कान में टैग) होना अनिवार्य किया है लेकिन इन दिनों स्थिति बड़ी अजीब है। पशुओं में होने वाली भयंकर बीमारी खुरपका व मुंहपका टीकाकरण अभियान पूरा होने के बाद भी पशुपालक टैगिंग से बच रहे हैं। हालांकि …

अमृत विचार, बरेली। पशुओं से संबंधित योजनाओं का लाभ लेने के लिए केंद्र सरकार में पशुओं की टैगिंग (कान में टैग) होना अनिवार्य किया है लेकिन इन दिनों स्थिति बड़ी अजीब है। पशुओं में होने वाली भयंकर बीमारी खुरपका व मुंहपका टीकाकरण अभियान पूरा होने के बाद भी पशुपालक टैगिंग से बच रहे हैं। हालांकि विभाग ने लक्ष्य पूरा करने को एड़ी से चोटी तक का जोर लगा दिया है।

इसमें सबसे बड़ी दिक्कत ग्रामीणों में जागरूकता की कमी को लेकर आ रही है। पशुपालकों को डर सता रहा है कि कान में टैग लगने के बाद उनका जानवर सरकारी हो जाएगा। अफसरों के मुताबिक टैगिंग के लिए पहुंची टीम को कई जगह ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा तो कई जगह से टीम वापस लौट आई। ऐसे में टैगिंग का शत प्रतिशत लक्ष्य पूरा करना किसी चुनौती से कम नहीं।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ललित कुमार वर्मा ने बताया कि जिले में करीब 9.42 लाख पशुओं का नि:शुल्क टीकाकरण होना था। इस कार्य में 1155 वैक्सीनेटर लगाए गए थे, जो सहायकों की मदद से पशुओं को टीका व उनके कान में टैग लगाने का काम काम कर रहे हैं। विभाग का दावा है कि अभियान में शत प्रतिशत पशुओं का टीकाकरण हो चुका है, लेकिन बड़ी दिक्कत यह सामने आ रही है कि ग्रामीणों में पशुओं के कान में टैग लगने से असमंजस की स्थिति बनी है। पिछले दिनों मझगवा, भदपुरा, आलमपुर जाफराबाद समेत कुछ ब्लाकों में टीमों को पिछले दिनों ग्रामीणों का विरोध झेलना पड़ा था।

कान काटने की घटनाएं भी आ चुकी हैं सामने
पशुओं के कान में टैग लगाने का मकसद सिर्फ यह है कि अगर कहीं पशु गायब हो जाता है या कोई अनहोनी हो तो एक क्लिक पर पशुपालक का पता लगाया जा सके। इसे लेकर ग्रामीणों में असमंजस की स्थिति बरकरार है। सीवीओ के मुताबिक, आसपास के जिलों में पशुओं के कान में टैग लगने की वजह से कान काटने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसके पीछे तर्क यह हैं कि ग्रामीणों को लगता है कि उनका पशु सरकारी हो जाएगा। 85 प्रतिशत पशुओं की टैगिंग की बात भी कही गई है।

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