अधिक मीठा खाने से होती है फैटी लिवर की शिकायत, जानें इसका कारण
नई दिल्ली: लिवर यानी यकृत हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है और स्वस्थ जीवन के लिए इसका सही तरीके से काम करना बेहद जरूरी है। आजकल भाग-दौड़भरी जिंदगी के चलते लोग खानपान का ध्यान नहीं रख पाते हैं नतीजतन फैटी लिवर बीमारी का शिकार हो जाते है। इसके बाद डॉक्टर के पास चक्कर लगाते रहते …
नई दिल्ली: लिवर यानी यकृत हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है और स्वस्थ जीवन के लिए इसका सही तरीके से काम करना बेहद जरूरी है। आजकल भाग-दौड़भरी जिंदगी के चलते लोग खानपान का ध्यान नहीं रख पाते हैं नतीजतन फैटी लिवर बीमारी का शिकार हो जाते है। इसके बाद डॉक्टर के पास चक्कर लगाते रहते है। तो अब आईआईटी मंडी के शाेधार्थियों के एक दल ने इस बीमारी से जुड़े कारणों का पता लगाया है।
यह अध्ययन ऐसे समय में हुआ है, जब सरकार ने एनएएफएलडी को कैंसर, मधुमेह, हृदय संबंधी रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल किया है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी के शोधार्थियों के मुताबिक इस नयी जानकारी से लोगों को यकृत संबंधी गैर-अल्कोहोलिक रोग (एनएएफएलडी) के शुरूआती चरणों में शर्करा की मात्रा घटाने के लिए जागरूक करने में मदद मिलेगी। यह अध्ययन जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ है।
एनएएफएलडी, एक ऐसी मेडिकल स्थिति है जिसमें यकृत में अतिरिक्त वसा जमा होता है। इस रोग के लक्षण करीब दो दशक तक भी नजर नहीं आते हैं। यदि इस रोग का समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो अतिरिक्त वसा यकृत की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। यह रोग बढ़ने पर यकृत कैंसर का रूप भी धारण कर सकता है।
आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के एसोसिएट प्रोफेसर प्रसेनजीत मंडल ने बताया, ‘‘एनएएफएलडी का एक कारण शर्करा का अधिक मात्रा में उपभोग है। शर्करा और कार्बोहाइड्रेड के अधिक मात्रा में उपभोग के चलते यकृत उन्हें एक प्रक्रिया के जरिए वसा में तब्दील कर देता है, इससे वसा यकृत में जमा होने लग जाता है। ‘‘
मंडल ने बताया कि भारत में एनएएफएलडी आबादी के करीब नौ से 32 प्रतिशत हिस्से में पाया जाता है। अध्ययन दल ने दावा किया है कि शर्करा और यकृत में वसा के जमा होने के बीच आणविक संबंध का खुलासा होने से इस रोग का उपचार ईजाद करने में मदद मिलेगी। अध्ययन दल में जामिया हमदर्द इंस्टीट्यूट और एसजीपीजीआई, लखनऊ के शोधार्थी भी शामिल थे।
