पर्यावरणविदों ने कहा पशु हमारे प्रथम आदर्श और शिक्षक रहे हैं... नेशनल पीजी में हुआ जलवायु परिवर्तन पर मंथन

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: नेशनल पीजी कॉलेज में पर्यावरण जीओपॉलिटिक्स पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में प्लेनरी व्याख्यान व समानांतर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। प्रो. श्रुति दास ने जलवायु संकट के दौर में मानव–अमानव संबंधों के गहरे मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पशु हमारे प्रथम आदर्श और शिक्षक रहे हैं, जिन्होंने भाषा, रूपकों और संवेदनाओं के माध्यम से मानव मस्तिष्क को आकार दिया है; जब हम उन्हें खोते हैं, तो केवल प्रजातियाँ ही नहीं, बल्कि अपने आंतरिक संसार के वे हिस्से भी खो देते हैं जो हमारे घरों, कहानियों, स्वप्नों और आत्मबोध में निवास करते हैं।

इटली की प्रो. आंद्रेया लावात्सा ने इटली के एमिलिया-रोमाग्ना क्षेत्र के बाढ़ पीड़ितों पर अपना शोध प्रस्तुत किया। जिसमें जलवायु-जनित आपदाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को रेखांकित किया गया। प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी, पूर्व कुलपति, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान ने भारतीय ज्ञान परंपराओं से पारिस्थितिक चेतना पर दार्शनिक और सभ्यतागत दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। सत्र की अध्यक्षता प्रो. आरके. मिश्रा ने की तथा संचालन डॉ. बृजेंद्र पांडेय ने किया।

इन्होंने भी रखे पर्यावरण पर विचार

प्रो. उमेश कुमार मंडल (त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू, नेपाल), डॉ. रवि गोपाल सिंह (बीसा), डॉ. अजीत कुमार शासनी, निदेशक, सीएसआईआर–राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, डॉ. सुभाष पालेकर, प्रो. भारती पांडेय।

 

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