UP: बिना जांच किए जाति प्रमाण पत्र जारी करने पर लेखपाल निलंबित

Amrit Vichar Network
Published By Monis Khan
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टांडा, अमृत विचार। बिना समुचित जांच के जाति प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए लेखपाल को निलंबित कर दिया है। इस प्रकरण में लेखपाल की तहरीर पर तीन लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें मुख्य आरोपी को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया है।

लेखपाल कुंदन सिंह ने तहरीर में बताया कि 17 मार्च 2022 को सुमित कुमार नामक व्यक्ति ने ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल के माध्यम से ग्राम सेढू के मझरा का निवासी बताते हुए जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। आवेदन के साथ आधार कार्ड, स्व प्रमाणित घोषणा पत्र एवं ग्राम प्रधान का प्रमाण पत्र संलग्न किया गया था। प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर 21 अप्रैल 2022 को जाति प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया। बाद में जब मामले की जांच की गई तो यह स्पष्ट हुआ कि सुमित कुमार नाम का कोई भी व्यक्ति संबंधित गांव का निवासी नहीं है। इसके अलावा आवेदन में संलग्न ग्राम प्रधान का प्रमाण पत्र भी पूरी तरह फर्जी पाया गया। 

लेखपाल कुंदन सिंह का आरोप है कि सुमित कुमार ने जनसेवा केंद्र प्रभारी फहीम अहमद एवं रिजवान खान के साथ मिलीभगत कर धोखाधड़ी की नियत से आधार कार्ड व ग्राम प्रधान का कूटरचित प्रमाण पत्र तैयार कराया। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तथ्यों को छिपाते हुए अवैध रूप से जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया। लेखपाल की तहरीर पर पुलिस ने रिजवान खां, फहीम अहमद और सुमित कुमार के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया था। 

पुलिस ने मुख्य आरोपी सुमित कुमार को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया है। उपजिलाधिकारी राजकुमार भास्कर ने बताया कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने से पूर्व रिपोर्ट लगाने में लापरवाही बरतने के आरोप में लेखपाल कुंदन सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में एंटी करप्शन टीम द्वारा एक महिला लेखपाल को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था, उसे भी निलंबित कर दिया गया है।

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