कुमाऊं के आस्था के दरबार: हल्द्वानी के गोरापड़ाव स्थित ‘अष्टभुजा मां महालक्ष्मी’ मंदिर में मिलती है मानसिक शांति व सुख-समृद्धि

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हल्द्वानी, अमृत विचार। हल्द्वानी शहर से करीब दस किलाेमीटर की दूरी पर स्थित ‘अष्टभुजा महालक्ष्मी’ मंदिर बड़ा ही मनमोहक है। पूरी तरह मार्बल से बनाए इस मंदिर में जब श्रद्धालु प्रवेश करते हैं, तो उनका रोम-रोम प्रफुल्लित हो उठाता है। मान्यता है कि यहां पर पूजा-पाठ करने से भक्तों के घर पर सुख-समृिद्ध के साथ …

हल्द्वानी, अमृत विचार। हल्द्वानी शहर से करीब दस किलाेमीटर की दूरी पर स्थित ‘अष्टभुजा महालक्ष्मी’ मंदिर बड़ा ही मनमोहक है। पूरी तरह मार्बल से बनाए इस मंदिर में जब श्रद्धालु प्रवेश करते हैं, तो उनका रोम-रोम प्रफुल्लित हो उठाता है। मान्यता है कि यहां पर पूजा-पाठ करने से भक्तों के घर पर सुख-समृिद्ध के साथ शांति का वास होता है। वर्ष भर इस मंदिर में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। कई विदेशी श्रद्धालु भी यहां पर मां के चरणों में मत्था टेकने के लिए पहुंचते हैं।

यह देवालय श्री हरि विष्णु की अर्धांगिनी देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। यहां पर माता लक्ष्मी की जो प्रतिमा स्थापित की गई है, उसकी आठ भुजाएं है। इसलिए इस मंदिर का नाम अष्टभुजा मंदिर रखा गया है। देश के मुख्य और दर्शनीय तीर्थ स्थलों में भी इस मंदिर का जिक्र किया जाता है। स्थानीय लोगों की इस मंदिर में बड़ी आस्था है।

तीन श्वेत गुंबद लगाते हैं मंदिर की शोभा में चार चांद
इस मंदिर की शोभा पर यहां बनाए गए तीन गुंबद चार चांद लगाते हैं। हाईवे किनारे इस मंदिर पर जिसकी भी नजर पड़ती है। वह रूककर मां को प्रणाम जरूर करते हैं। इस मंदिर के खािसयत यह है कि यहां पर पूजा करने से भक्तों को एक अलग दिव्य आत्मिक शांति का अनुभव होता है। यह मंदिर देवी लक्ष्मी के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। मान्यता है कि मां की पूजा जो भी भक्त सच्चे मन से करते हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। अभी कोरोनाकाल के चलते इस मंदिर में श्रद्धालु कम पहुंच रहे हैं। मंदिर प्रबंधन की ओर से कोरोना के सभी नियमों का पालन करवाने के लिए पूरे इंतजाम भी किए गए हैं। जब से कोरोना ने देश में कोहराम मचाया है तब से यहां पर श्रद्धालुओं का आना कम हो गया है, लेकिन कोरोना के खत्म होने के बाद फिर मंदिर में पहले जैसी रौनक वापस लौटने लगेगी।