रणबांकुरों की जांबाजी के किस्से बयां करेंगे वर्चुअल संग्रहालय
नई दिल्ली। मातृभूमि की रक्षा करने वाले रणबांकुरों की जांबाजी के कारनामों को जन जन तक पहुंचाने के लिए एक संवादात्मक वर्चुअल संग्राहलय बनाया जायेगा। रक्षा मंत्रालय के अनुसार देश में आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाये जाने के बीच वीरता पुरस्कार विजेताओं के किस्से लोगों तक पहुंचाने के लिए यह संग्रहालय बनाने का निर्णय …
नई दिल्ली। मातृभूमि की रक्षा करने वाले रणबांकुरों की जांबाजी के कारनामों को जन जन तक पहुंचाने के लिए एक संवादात्मक वर्चुअल संग्राहलय बनाया जायेगा। रक्षा मंत्रालय के अनुसार देश में आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाये जाने के बीच वीरता पुरस्कार विजेताओं के किस्से लोगों तक पहुंचाने के लिए यह संग्रहालय बनाने का निर्णय लिया गया है।
संग्रहालय के लिए रक्षा मंत्रालय ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्यूफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के साथ भागीदारी की है इसलिए रक्षा मंत्रालय पर इस परियोजना का वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। रक्षा सचिव डा अजय कुमार ने इससे संबंधित अनुमोदन पत्र आज एसआईडीएम के अध्यक्ष जयंत डी पाटिल को सौंपा। इस परियोजना के जल्द पूरा होने की संभावना है। वीरता पुरस्कार पोर्टल पर ही इस वर्चुअल संग्रहालय को देखा जा सकेगा।
संग्रहालय में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और वार रूम का टूर, वॉल ऑफ फेम , विजेता दीर्घा, विजेताओं के फोटो और प्रोफाइल देखे जा सकेंगे। इस दौरान मातृभूमि की रक्षा करने वाले जांबाजों की बहादुरी और वीरता के किस्से सुनाये भी जायेंगे। इन किस्सों को जीवंत रूप देने के लिए एनिमेटिड वीडियो भी दिखाये जायेंगे। दर्शक इस दौरान अपने पोस्ट में शहीद रणबांकुरों को श्रद्धांजलि संदेश भी दे सकेंगे। रक्षा सचिव ने कहा है कि इस संग्रहालय के माध्यम से देश इन बहादुर और वीर जांबाजों की वीरता तथा देश की रक्षा में उनके योगदान को जानेगा तथा उसे मान्यता मिलेगी।
इसके साथ ही कृतज्ञ राष्ट्र शहीद रणबांकुरों को श्रद्धांजलि भी दे सकेगा। उन्होंने कहा कि यह अपनी तरह का पहला संग्रहालय होगा और इससे वीरता पुरस्कार पोर्टल का भी महत्व बढेगा और लोगों विशेष रूप से युवाओं को प्रेरणा भी मिलेगी। इसके माध्यम से सशस्त्र सेनाओं और उनके परिजनों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी लोगों को मौका मिलेगा। उन्होंने इस परियोजना में सहयोग के लिए एसआईडीएम और सीआईआई को धन्यवाद भी दिया। श्री पाटिल ने कहा कि आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के मौके पर यह परियोजना सशस्त्र सेनाओं को सम्मान करने का अच्छा माध्यम है।
