अल्मोड़ा: जल, मृदा एवं वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना जरूरी
अमृत विचार, अल्मोड़ा। जल, मृदा और वायु प्रदूषण को नियंत्रित कर हमें पर्यावरण को साफ और स्वच्छ बनाने के प्रयास करने होंगे। तभी धरती पर इंसान का अस्तित्व संभव है। वर्तमान में मानवीय चूक के कारण पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है। जो भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। गोविंद बल्लभ पंत पर्यावरण …
अमृत विचार, अल्मोड़ा। जल, मृदा और वायु प्रदूषण को नियंत्रित कर हमें पर्यावरण को साफ और स्वच्छ बनाने के प्रयास करने होंगे। तभी धरती पर इंसान का अस्तित्व संभव है। वर्तमान में मानवीय चूक के कारण पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है। जो भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।
गोविंद बल्लभ पंत पर्यावरण एवं हिमाली शोध संस्थान के इनविस केंद्र की हवालबाग ब्लॉक के ज्योली गांव में आयोजित साप्ताहिक कार्यशाला को संबोधित करते हुए यह बात इनविस केंद्र के प्रभारी डॉ. महेशानंद ने कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पर्यावरण का संरक्षण गंभीर मुद्दा है। इसलिए इसके लिए जिम्मेदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा।
उन्होंने ग्रामीणों को अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन, अपशिष्ट पदार्थों की मापन विधि, पुनर्चक्रण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। व्यावहारिक सत्र में संस्थान के शोधार्थी डा. प्रदीप सिंह और साहिल जोशी ने प्रतिभागियों को ग्राम सभा की सीमाओं के अंतर्गत वनों में पाई जाने वाली विभिन्न प्रजातियों की पहचान, उनके औषधीय गुणों व उपयोग के बारे में जानकारी दी।
रवि पाठक ने वन एवं कृषि भूमि में लगातार बढ़ रही खरपतवारों पर प्रकाश डाला। सूचना अधिकारी कमल किशोर टम्टा ने ग्रामीणों द्वारा प्राप्त आंकड़ों को कंप्यूटर आधारित डाटाबेस द्वारा तकनीकी उदाहरण देकर समझाया। जबकि विजय सिंह बिष्ट ने ग्रामीणों को कृषि के माध्यम से आजीविका संवर्धन व स्वरोजगार विकसित करने के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला में डॉ. जीसीएस नेगी, डॉ. हर्षित पंत, दीपा उपाध्याय, देव सिंह भोजक, कुंदन सिंह आदि अनेक लोग मौजूद रहे।
