जहां रेल वहां विमान सेवा: अब छोटे शहरों से भर सकेंगे उड़ान, संसद में इस विधेयक पर लगी मुहर

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नई दिल्ली। छोटे शहरों में हवाई अड्डों के संचालन से संबंधित भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण विधेयक 2021 पर बुधवार को संसद की मुहर लग गयी जिसमें ‘महाविमानपत्तन’ की परिभाषा में संशोधन करने और छोटे विमानपत्तनों के विकास को प्रोत्साहित करने का उल्लेख किया गया है। राज्यसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच इस …

नई दिल्ली। छोटे शहरों में हवाई अड्डों के संचालन से संबंधित भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण विधेयक 2021 पर बुधवार को संसद की मुहर लग गयी जिसमें ‘महाविमानपत्तन’ की परिभाषा में संशोधन करने और छोटे विमानपत्तनों के विकास को प्रोत्साहित करने का उल्लेख किया गया है।

राज्यसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच इस विधेयक को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। लोकसभा में यह पहले ही पारित हाे चुका है।

नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मोदी सरकार सभी वर्गों का विकास करना चाहती है। सरकार के प्रयासों से छोटे शहरों में वायु सेवा पहुंच रही है। सरकार यात्रा का ‘प्रजातांत्रिकरण – लोकतांत्रिकीकरण’ कर रही है। इस विधेयक के पारित होने से छोटे शहरों में भी हवाई अड्डों का संचालन किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि देश में जल्दी ही हवाई अड्डों की संख्या 175 तक पहुंचा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार की योजना जहां रेल है , वहां विमान सेवा पहुंचाने की है। देश में विमान सेवाओं की बहुत संभावनायें हैं और फिलहाल देश में छोटे शहरों से प्रतिदिन 150 से 170 उडानों का संचालन प्रतिदिन हो रहा है।

उन्होंने कहा कि यह महत्वकांक्षी विधेयक हैं जिससे देश में नयी तरक्की के रास्ते खुलेंगे। चर्चा में तेलंगाना के के आर सुरेश रेड्डी, अन्नाद्रमुक के एम. थंबीदुरै, वाईएसआरसीपी के वी. विजयसाई रेड्डी ने हिस्सा लिया। विपक्षी दलों ने चर्चा में हिस्सा नहीं लिया।

वर्तमान अधिनियम के अधीन महाविमानपत्तनों को किसी ऐसे विमानपत्तन के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें वार्षिक रूप से 35 लाख से अधिक यात्री आते हैं या कोई अन्य विमानपत्तन के रूप में जिसे केंद्र सरकार की अधिसूचना के जरिये उस रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है। इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक निजी साझेदारी से अधिक विमानपत्तनों का विकास सापेक्ष रूप से सुदूर और दूरस्थ क्षेत्रों में वायु सम्पर्क के विस्तार में होगा।

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