ईरान में टीकाकरण की धीमी गति से भड़क रहा लोगों में गुस्सा

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दुबई। ईरान कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के सबसे बुरे प्रकोप से गुजर रहा है और टीका नहीं लगवा पा रहे लोगों का गुस्सा टीका लगवा चुके पश्चिम के लोगों की बिना मास्क वाली तस्वीरें टीवी पर या इंटरनेट पर देख-देख कर भड़क रहा है। ईरान, दुनिया के अधिकांश हिस्सों की तरह, अमेरिका जैसे देशों के …

दुबई। ईरान कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के सबसे बुरे प्रकोप से गुजर रहा है और टीका नहीं लगवा पा रहे लोगों का गुस्सा टीका लगवा चुके पश्चिम के लोगों की बिना मास्क वाली तस्वीरें टीवी पर या इंटरनेट पर देख-देख कर भड़क रहा है।

ईरान, दुनिया के अधिकांश हिस्सों की तरह, अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले अपनी जनता को टीका लगाने में बहुत पीछे है, देश के आठ करोड़ से अधिक लोगों में से केवल 30 लाख को ही टीके की दोनों खुराकें लगी हैं। लेकिन जहां कुछ देशों को टीके प्राप्त करने में गरीबी या अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, वहीं ईरान कुछ समस्याओं के लिए स्वयं जिम्मेदार है।

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई द्वारा पश्चिमी देशों से टीकों का दान स्वीकार करने से इनकार करने के बाद, इस्लामी गणराज्य ने टीकों का घरेलू स्तर पर उत्पादन करना चाहा, हालांकि यह प्रक्रिया अन्य देशों से बहुत पीछे है। गैर-पश्चिमी देशों से टीकों की आपूर्ति कम बनी हुई है जिससे देश में मॉडर्ना और फाइजर-बायोएनटेक के टीकों की कालाबाजारी कर उन्हें 1,350 डॉलर में बेचा जा रहा है, वह भी तब जब ईरानी मुद्रा, रियाल, की कीमत काफी गिरी हुई है।

इस बीच, ईरान पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का मतलब है कि नकदी की कमी वाली सरकार के पास विदेशों में टीके खरीदने के लिए सीमित धन है। एक तरफ, डेल्टा स्वरूप जहां कहर बरपा रहा है और पहले से भरे अस्पतालों पर दबाव बढ़ता जा रहा है, वहीं, कई ईरानियों ने मास्क पहनना और घर पर रहना छोड़ दिया है।

पैसा कमाने की आवश्यकता शारीरिक दूरी की विलासिता पर भारी पड़ रही है। वैश्विक महामारी की शुरुआत के बाद से, ईरान में कोविड-19 के 40 लाख मामले सामने आए हैं और 91,000 से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है जो पश्चिम एशिया में सबसे अधिक है। वास्तविक संख्या हालांकि इससे भी ज्यादा मानी जा रही है।

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