धूमधाम से मनाई जाती है नंदाष्टमी, क्या है विशेष महत्व, पढ़िए पूरी खबर

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हल्द्वानी, अमृत विचार। नंदाष्टमी यानी राधा अष्टमी के पर्व के विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। नंदाष्टमी पर व्रत रखकर पूजा की जाती है। नंदाष्टमी की पूजा सभी दुखों को दूर करने वाली मानी गई हैं। वहीं मान्यता है कि नंदाष्टमी का व्रत सभी प्रकार के पापों को भी नष्ट करता है। पंचांग के अनुसार …

हल्द्वानी, अमृत विचार। नंदाष्टमी यानी राधा अष्टमी के पर्व के विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। नंदाष्टमी पर व्रत रखकर पूजा की जाती है। नंदाष्टमी की पूजा सभी दुखों को दूर करने वाली मानी गई हैं। वहीं मान्यता है कि नंदाष्टमी का व्रत सभी प्रकार के पापों को भी नष्ट करता है। पंचांग के अनुसार नंदाष्टमी का पर्व 14 सितंबर यानी मंगलवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि को मनाया जाएगा। भादो शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि को राधा अष्टमी भी कहा जाता है।

पंडित नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि नन्दा भगवती देवी नन्दवंश में अवतरित होकर भक्तों की  कामनाओं को पूर्ण करती हैं। 14 सितंबर को पंचांग के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र रहेगा। ज्येष्ठा नक्षत्र इस दिन सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगा, इसके बाद मूल नक्षत्र शुरू होगा। नंदाष्टमी पर विशेष शुभ योग भी बन रहा है। इस योग को आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है। यानि नंदाष्टमी का व्रत और पूजा इसी योग में की जाएगी।

नंदाष्टमी व्रत का महत्व
नंदाष्टमी का व्रत विशेष पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। इस व्रत को सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाला बताया गया है। सुहागिन महिलाएं इस दिन व्रत रखकर राधा जी की विशेष पूजा करती हैं। इस दिन पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। नंदाष्टमी का पर्व जीवन में आने वाली धन की समस्या को भी दूर करता है। राधा जी की इस दिन पूजा करने भगवान श्रीकृष्ण का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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