उत्तराखंड: सहायक लेखाकार की परीक्षा रद्द कराने की मांग, गुस्साए युवाओं का प्रदर्शन

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हल्द्वानी, अमृत विचार। सहायक लेखाकार की हिंदी माध्यम की भर्ती परीक्षा में अनियमितता का आरोप लगाते हुए सोमवार को दर्जनों अभ्यर्थियों ने देहरादून स्थित अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और सचिव को ज्ञापन सौंपा। गुस्साए युवाओं ने कहा कि हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ आयोग ने खिलवाड़ …

हल्द्वानी, अमृत विचार। सहायक लेखाकार की हिंदी माध्यम की भर्ती परीक्षा में अनियमितता का आरोप लगाते हुए सोमवार को दर्जनों अभ्यर्थियों ने देहरादून स्थित अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और सचिव को ज्ञापन सौंपा।

गुस्साए युवाओं ने कहा कि हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ आयोग ने खिलवाड़ किया है। हिंदी अनुवाद में कई सारी गलतियां सामने आई हैं। करीब 40 प्रश्न केवल न्यूमैरिकल के थे,जिन्हें दो घंटे की परीक्षा अवधि में करना मुश्किल था। आरोप लगाया कि परीक्षा में 80 से 90 प्रतिशत प्रश्न पहेली की तरह बनाकर पूछे गए थे। कहा कि परीक्षा के पुराने और नए पैटर्न में काफी अंतर था। युवाओं ने सचिव को सौंपे ज्ञापन में परीक्षा रद्द कराने की मांग की है।

अभ्यर्थियों द्वारा अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव को सौंपे गए पत्र का मजमून:

सेवा में,
सचिव महोदय
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग
उत्तराखण्ड

विषय: सहायक लेखाकार परीक्षा में तमाम अनियमितताओं के चलते परीक्षा रद्द किए जाने का आग्रह।

महोदय,
निवेदन इस प्रकार है कि आयोग की ओर से 12 से 14 सितंबर तक ऑनलाइन (सीबीटी) परीक्षा आयोजित की गई। जिसमें 09 हजार से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए। अभ्यर्थियों के काफी विरोध के बाद भी परीक्षा ऑफलाइन नहीं कराई गई। आयोग द्वारा आश्वासन दिया गया कि हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए अंग्रेजी के प्रश्नों का सही अनुवाद दिया जाएगा, ऐसा नहीं हुआ।
परीक्षा शुरू होने की 12 तारीख से ही बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने विभिन्न माध्यम से आयोग तक परीक्षा पैटर्न संबंधी बात पहुंचाने का प्रयास किया, इसके बाद भी 13 व 14 तारीख की चारों पालियों में समस्या का समाधान नहीं हुआ। वहीं प्रश्नों का स्तर भी सभी अभ्यर्थियों के लिए चुनौती बनाया गया। ऐसा पैटर्न पुरानी किसी परीक्षा में नहीं था, उन परीक्षाओं के सिलेबस अनुसार। ऐसे में कई साल और महीनों से तैयारी कर रहे अभ्यर्थी स्वयं का आयोग द्वारा ठगा महसूस कर रहे हैं।
महोदय परीक्षा का पैटर्न सीए और नेट जेआरएफ जैसी परीक्षाओं से अधिक आंका जा रहा है। कई पाली में 30 से 39 तक न्यूमेरिकल्स दिए गए जो कि दो घंटे में हल करना सभी के लिए संभव नहीं है। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों का इस परीक्षा के बाद मनोबल टूटा है।
बिंदुवार परीक्षा में हुई अनिमितताएं, समस्याएं जिनके चलते रद्द किया जाना चाहिए:
1 परीक्षा में हिंदी अनुवाद में तमाम गलतियां थी, जिनसे प्रश्न का अर्थ बदल रहा था, जैसे पूंजी को राजधानी लिखा गया, निकासी का चित्रकला इत्यादि। इस पर अभ्यर्थी ऑनलाइन अपत्ति भी दर्ज कर रहे हैं पोर्टल पर।
2 परीक्षा में 30 से 40 तक न्यूमेरिकल प्रश्न दिए गए, दो घंटे की परीक्षा में इतनी गणनाएं करना मेधावी अभ्यर्थियों के लिए भी संभव नहीं होगा।
3 परीक्षा में 80 से 90 प्रतिशत तक प्रश्नों को पहेली जैसा बनाकर हल करने के लिए दिया गया, जिनमें बड़ी संख्या में अभ्यर्थी सभी प्रश्नों को हल नहीं कर पाए।
4 परीक्षा के पुराने पैटर्न और नए पैटर्न में जमीन आसमान का अंतर है। इस तरह के पैटर्न की सहायक लेखाकार की तैयारी के लिए किताबें तक बाजार में फिल्हाल उपलब्ध नहीं हैं।
5 अभ्यर्थियों ने परीक्षा से पहले आयोग को विभिन्न कारणों से अवगत कराकर ऑफलाइन परीक्षा कराने का अनुरोध किया, अनुमान है कि यह परीक्षा ऑफलाइन एक ही दिन में एक से दो पाली में भी कराई जा सकती थी। मांग को अनदेखा किया गया।
6 विभिन्न राज्यों की खबरों के अनुसार परीक्षा कराने की जिम्मेदारी उसी कंपनी को दी गई जो सवालों के घेरे में थी, अब हमारे प्रदेश में भी परीक्षा पर अभ्यर्थी सवाल उठा रहे हैं।
7 परीक्षा में अभ्यर्थियों को पढ़ाई, तैयारी के आधार के स्थान पर अनुमान के अनुसार प्रश्नों के जवाब देने पढ़े, क्योकि अकल्पनिय स्तर के विश्लेष्णात्मक प्रश्न दिए गए जो कि अधिकांश सीए और आईएएस जैसी परीक्षाओं में होते होंगे, लेकिन सीमित संख्या में ही।
8 परीक्षा पैटर्न के चलते बड़ी संख्या में अभ्यर्थी अवसाद में हैं, सहायक लेखाकार के इस परीक्षा पैटर्न पर भविष्य में भी तैयारी करना बड़ी चुनौती और समस्या बनेगा।
अतः महोदय से निवदेन है कि साल, महीनों से सहायक लेखाकार परीक्षा की तैयारी कर हजारों अभ्यर्थियों के हित में परीक्षा रद्द करके सामान्य पैटर्न (पुराना पैटर्न व अन्य राज्यों की तरह) परीक्षा ऑफलाइन माध्यम से कराई जाएं। अन्यथा अभ्यर्थियों को धरने से लेकर कोर्ट का सहारा लेने तक जैसे कदमों पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।