हल्द्वानी: जानें क्यों है खास टैगोर टॉप, अब होने जा रही है यहां विश्व भारती केंद्रीय विश्वविद्यालय परिसर की स्थापना
हल्द्वानी, अमृत विचार। राज्य कैबिनेट की बैठक में नैनीताल जिले के रामगढ़ क्षेत्र में टैगोर टॉप में विश्व भारती, केन्द्रीय विश्वविद्यालय परिसर की स्थापना को मंजूरी मिलने पर हिमालयन एजुकेशनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (हडर्स) व शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया के सदस्यों ने प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, क्षेत्रीय सांसद अजय भट्ट और …
हल्द्वानी, अमृत विचार। राज्य कैबिनेट की बैठक में नैनीताल जिले के रामगढ़ क्षेत्र में टैगोर टॉप में विश्व भारती, केन्द्रीय विश्वविद्यालय परिसर की स्थापना को मंजूरी मिलने पर हिमालयन एजुकेशनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (हडर्स) व शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया के सदस्यों ने प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, क्षेत्रीय सांसद अजय भट्ट और पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल का आभार जताया।

हडर्स के अध्यक्ष केके पांडेय ने कहा कि 1901 से 1904 के बीच टैगोर कई दफा कुमाऊँ में नैनीताल जिले के रामगढ़ आये एवं टैगोर ने अपनी कालजयी रचना ‘गीतांजलि’ का का कुछ हिस्सा रामगढ़ में लिखा। गुरुदेव पहली दफा रामगढ़ में अपने मित्र डैनियल के मेहमान बनकर रामगढ़ आए। खंडहर में तब्दील हो चुके इस बंगले को स्थानीय लोग आज भी शीशमहल के नाम से जानते हैं। बाद में टैगोर ने रामगढ़ में खुद का बंगला बनवाया, जिसके खंडहर आज भी मौजूद हैं। इस जगह को टैगोर टॉप के नाम से जाना जाता है। टैगोर अपनी तपेदिक की बीमार बेटी के इलाज के लिए यहाँ आये, जिनकी बाद में दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो गयी।

उन्होंने कहा कि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर शांति निकेतन की स्थापना रामगढ़ में ही करना चाहते थे लेकिन बेटी व बाद में पत्नी के असामयिक निधन के बाद वे निराश होकर यहाँ से चले गए। रामगढ़ में टैगोर टॉप नाम से प्रचलित उनकी कर्मस्थली को शैक्षणिक संस्थान एवं संग्रहालय के रूप में विकसित करने के लिए हिमालयन एजुकेशनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (हडर्स) एवं शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया विगत सात वर्ष से प्रयास कर रहा है।
हडर्स के सचिव प्रो. अतुल जोशी ने बताया कि फल पट्टी के रूप में मशहूर रामगढ़ की बेहतरीन आबोहवा के चलते 1903 में विश्वकवि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर अपनी बेटी हेमंती के स्वास्थ्य लाभ के लिए उत्तराखंड आए थे। यहां की मनोरम प्राकृतिक छटा से आकर्षित होकर टैगोर ने रामगढ़ में बसने का मन बनाया। यहीं पर भूमि खरीदकर एक भवन बनवाया। वहीं पर साहित्य सृजन भी किया। उसका नाम ‘गीतांजलि’ रखा, बाद में यह स्थान ‘टैगोर टॉप’ के नाम से जाने जाना लगा।

उन्होंने कहा कि गुरुदेव टैगोर के सपनों के अनुसार प्रस्तावित परिसर में ग्राम्य विकास, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, योग एवं आध्यात्म जैसे विषयों पर विश्व भारती केन्द्रीय विश्वविद्यालय द्वारा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम एवं शोध कार्य आरंभ किया जाएगा। आरम्भ में इसे आवासीय विश्वविद्यालय के रूप में तैयार किया जाएगा।
शांति निकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया के ट्रस्टी डॉ. एसडी तिवारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद पिछले साल रामगढ़ में विश्वविद्यालय के नए परिसर की स्थापना का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर चुकी है। अब राज्य कैबिनेट की बैठक में टैगोर टॉप में विश्व भारती, केन्द्रीय विश्वविद्यालय परिसर की स्थापना को मंजूरी मिलना न केवल रामगढ़ बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए राज्य सरकार की ओर से एक विशेष सौगात है। विश्व भारती जैसा प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान खुलने से उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में जहां बहुत बड़ी क्रांति आएगी और लोगों को रोजगार मिलेगा वहीं विश्व के मानचित्र में भी रामगढ़ का नाम अंकित होगा। इस मौके पर हेमंत डालाकोटी, डॉ. विनोद जोशी, डॉ. जीवन उपाध्याय, डॉ. मनोज पाण्डेय आदि रहे।
