उत्तराखंड की इन तीन खास मिठाईयों के स्वाद के विदेशी भी हैं मुरीद

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बाल मिठाई, सिंगौड़ी , चाकलेट और खुचेआ नामक इन मिठाईयों का ज्रिक आते ही लोगों को अल्मोड़ा याद आ जाता है, जहां से इन मिठाईयों का आविष्कार हुआ, आज भी इन मिठाईयों का वर्चस्व कायम है। उत्तराखंड की प्रसिद्ध मिठाई में सबसे पहले नाम आता है बाल मिठाई, उसके बाद मालू के पत्ते में लिपटी …

बाल मिठाई, सिंगौड़ी , चाकलेट और खुचेआ नामक इन मिठाईयों का ज्रिक आते ही लोगों को अल्मोड़ा याद आ जाता है, जहां से इन मिठाईयों का आविष्कार हुआ, आज भी इन मिठाईयों का वर्चस्व कायम है।

सिंगौडी और बाल मिठाई

उत्तराखंड की प्रसिद्ध मिठाई में सबसे पहले नाम आता है बाल मिठाई, उसके बाद मालू के पत्ते में लिपटी सिंगौडी और फिर चॉकलेट। इन तीनों मिठाईयों का स्वाद ही कुछ ऐसा है जो एक बार स्वाद चढ़ जाए तो फिर दोबारा उतरते नहीं उतरता फिर चाहे वो शुगर का मरीज ही क्यों न हो। उत्तराखंड के अल्मोड़ा से ख्याति पा चुकीं यह तीनों मिठाई नजराने के साथ संस्कृति का हिस्सा भी है।

अल्मोड़ा की बाल मिठाई, सिंगौड़ी और चॉकलेट देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी खासी मशहूर है। लोग सौगात के रूप में यही तीन मिठाइयां लेकर यहां से जाते हैं।

यहां बाल मिठाई बनाने का इतिहास लगभग सौ साल पुराना है।इसके स्वाद और निर्माण के परंपरागत तरीके को निखारने का श्रेय मिठाई विक्रेता स्व. नंद लाल साह को जाता है, जिसे आज भी खीम सिंह मोहन सिंह रौतेला और जोगालाल साह के प्रतिष्ठान संवार रहे हैं।

बाल मिठाई को आसपास के क्षेत्र में उत्पादित होने वाले दूध से निर्मित खोए से तैयार किया जाता है। इसे बनाने के लिए खोए और चीनी को एक निश्चित तापमान पर पकाया जाता है। लगभग पांच घंटे तक इसे ठंडा करने के बाद इसमें रीनी और पोस्ते के दाने चिपकाए जाते हैं।

जिसे बाद में छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। ऐसा ही बेजोड़ स्वाद सिंगौड़ी का भी है। सिंगौड़ी मालू के पत्ते में लपेटी जाती है और इसे कोन का आकार दिया जाता है। यहां के परंपरागत व्यजनों का लुत्फ भी सैलानी आसानी से उठा सकते हैं। देखने में यह लिपटे हुए पान की भांति लगती है।

सिंगौडी, बाल मिठाई और चॉकलेट

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नगरी अल्मोड़ा से ही बाल मिठाई और सिंगौड़ी का आविष्कार हुआ था। 1865 में सबसे पहले साह परिवार ने लाला बाजार में मिठाई बनाकर बेचना शुरू किया। दीपावली में तो यहां के मिठाई की बात ही क्या देश और दुनियां में अल्मोड़ा की मिठाई की मांग रहती है।

अल्मोड़ा आने वाले पर्यटक यहां की बाल मिठाई, सिंगौड़ी, चॉकलेट और खेचुआ ले जाते हैं. 1865 में लाला बाजार के साह परिवार ने मिठाई का आविष्कार किया।

महात्मा गांधी ने भी 1929 में अल्मोड़ा आजादी आंदोलन में मिठाई का स्वाद लिया था. 24 नवम्बर को तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने हरीश लाल शाह को दिल्ली तीन मूर्ति भवन में बुलाकर मिठाई का स्वाद लिया।

बाल मिठाई और सिंगौड़ी के आविष्कारक पीढ़ी के हरीश लाल साह का कहना है कि उनके बच्चों की पांचवी पिढ़ी मिठाई बेच रही है। जिस स्वरुप में पहले मिठाई बेचते थे आज भी उसी स्वरुप में मिठाई को बेच रहे हैं। वहीं, मिष्ठान संघ के अध्यक्ष मनोज पवार का कहना है कि अल्मोड़ा की मिठाई देश-विदेश में प्रसिद्ध है। जो भी लोग यहां आते हैं वे जरुर यहां की मिठाई को निशानी के रुप में ले जाते हैं, कई दिनों तक यहां की मिठाई खराब नही होती है।