यहां नौ कोनों वाली झील से जुड़ी है मोक्ष और अमर होने की कहानी, नौकायन को पहुंचते हैं देसी विदेशी सैलानी
चारों तरफ हरियाली, शांत वातावरण और पक्षियों की चहचहाहट… कुछ ऐसी ही पहचान है नौकुचियाताल की। मानो यहा प्रकृति अपने पूरे श्रृंगार में हो। हर तरफ सिर्फ सुकून ही सुकून बिखरा है। नैनीताल से नौकुचियाताल की दूरी करीब 26.2 किमी है। चारों तरफ से हरे भरे पहाड़ियों से घिरे ताल की गहराई 175 फीट है। …
चारों तरफ हरियाली, शांत वातावरण और पक्षियों की चहचहाहट… कुछ ऐसी ही पहचान है नौकुचियाताल की। मानो यहा प्रकृति अपने पूरे श्रृंगार में हो। हर तरफ सिर्फ सुकून ही सुकून बिखरा है। नैनीताल से नौकुचियाताल की दूरी करीब 26.2 किमी है। चारों तरफ से हरे भरे पहाड़ियों से घिरे ताल की गहराई 175 फीट है। यह ताल नैनीताल जिले की सभी तालों में सबसे गहरी है।

कभी शरत ताल के नाम से जानी थी यह झील
पद्म पुराण के अध्याय 18 में नौकुचियाताल का वर्णन है। माना जाता है कि इस ताल का पानी हरिद्वार स्थित हर की पैड़ी की गंगा से भूमिगत होकर यहां आता है। इस ताल को पहले शरत ताल के नाम से जाना जाता था लेकिन अंग्रेजों ने बाद में इस ताल के नौ कोनों की वजह से इसका नाम नौकुचियाताल रख दिया। जानकार बताते हैं कि हरिद्वार के समान इस ताल के एक छोर पर हर की पैड़ी है, जिसका स्नान हरिद्वार के समान ही माना जाता है।

नौ कोनों से जुड़ी मोक्ष और अमर होने की कहानी
किवदंती के अनुसार, अगर नौकुचियाताल के नौ कोनों को कोई इंसान एक नजर में देख ले तो उसे मोक्ष प्राप्त होगा और वो हमेशा के लिए अमर हो जाएगा। लेकिन झील के किसी भी कोने से खड़े होके देखने पर झील के केवल 7 कोने ही दिखाए देते हैं। हालांकि यह केवल एक मान्यता भर है वैज्ञानिक दृष्टि से इसका कोई महत्व नहीं है।

एडवेंचर के शौकीनों को खूब भाती है नौकुचियाताल
नौकुचियाताल के आसपास मनोरंजन के लिए कई तरह के एडवेंचर मिल जाएंगे। जैसे कयाकी, पैडल बोट, चप्पू से खेने वाली आरामदायक नौका, झील के पानी में जोर्बिंग, झील में पैरासेलिंग, पहाड़ से पैराग्लाइडिंग, जंगल ट्रेकिंग, माउंटेन बाइकिंग जैसे तमाम तरह की चीजें हैं जो आपको खूब भाएंगे। प्रकृति के नजारों के बीच एडवेंचर स्पोर्ट्स नौकुचियाताल का विशेष आकर्षण हैं।
पक्षियों का बसेरा है नौकुचियाताल
अगर आपको पक्षियों का दीदार और चहचहाहट लुभाती है तो नौकुचियाताल आपके लिए सबसे अच्छी जगह है। नौकुचियाताल में पक्षियों की अनेक प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं। इस ताल में 20-25 पोंड तक की मछलियां आसानी से मिल जाती हैं। नौकायन करने और ताल के पानी की शीतलता को महसूस करने के लिए यहां सालभर देशभर से सैलानी जुटते हैं।

हनुमान मंदिर में शीश नवाते हैं पर्यटक
नौकुचियाताल क्षेत्र में स्थित यह मंदिर हनुमान जी के भक्तों के लिए अलौकिक स्थान है जहां प्रवेश द्वार पर हनुमान जी की 52 फीट ऊंची प्रतिमा स्थित है। पहाड़ों और घाटी के बीच स्थित यह मंदिर देखने में बेहद आकर्षक लगता है। इसके अलावा यहां शनि मंदिर, राम दरबार मंदिर और तीर्थयात्रियों के रुकने के लिए जगह भी बनी हुई है।
कैसे पहुंचे नौकुचियाताल
नौकुचियाताल पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी स्टेशन हल्द्वानी और काठगोदाम है। नौकुचियाताल से करीब 40 किमी की दूरी पर काठगोदाम रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, लखनऊ, जम्मू कश्मीर आदि से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। स्टेशन के बाहर से आपको टैक्सी या कैब आसानी से मिल जाएगी। नौकुचियाताल के लिए हल्द्वानी से रोडवेज और केमू की बस भी आसानी से मिल जाती है।
