संसद में बैन हुए ये शब्द तो विपक्ष को लगी मिर्ची, कहा- करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या? वाह मोदी जी वाह!

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नई दिल्ली। संसद में बैन किए गए शब्दों की सूची पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है, “‘करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या? सिर्फ, वाह मोदी जी वाह!’ यह प्रसिद्ध मीम अब सच होता नज़र आ रहा है!” वहीं, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इस सूची को लेकर कहा, …

नई दिल्ली। संसद में बैन किए गए शब्दों की सूची पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है, “‘करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या? सिर्फ, वाह मोदी जी वाह!’ यह प्रसिद्ध मीम अब सच होता नज़र आ रहा है!” वहीं, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इस सूची को लेकर कहा, “क्या ‘सच’ असंसदीय है?”

वहीं, टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन ने संसद में बैन किए गए शब्दों की सूची पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, “कुछ ही दिनों में (संसद) सत्र शुरू होगा…हमें संसद में भाषण देते समय…इन सामान्य शब्दों का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी।” उन्होंने कहा, “मैं इन सभी शब्दों का इस्तेमाल करूंगा भले मुझे निलंबित कर दें…यह लोकतंत्र की लड़ाई है।”

वहीं, राज्यसभा सांसद और कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब ‘असंसदीय’ माने जाएंगे। अब आगे क्या विषगुरु?

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया है, “लोकसभा और राज्यसभा के लिए असंसदीय शब्दों की सूची में ‘संघी’ शामिल नहीं है। दरअसल, सरकार ने हर उस शब्द को बैन कर दिया है जिसके ज़रिए विपक्ष ये बताता है कि बीजेपी कैसे भारत को बर्बाद कर रही है।”

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने लिखा है, “सरकार की मांशा है कि जब वो भ्रष्टाचार करे, तो उसे भ्रष्ट नहीं; भ्रष्टाचार को मास्टरस्ट्रोक बोला जाए। 2 करोड़ रोज़गार, किसानों की आय दुगनी, जैसे जुमले फेंके, जो उसे जुमलाजीवी नहीं; थैंक यू बोला जाएगा. संसद में देश के अन्नदाताओं के लिए आंदोलनजीवी शब्द किसने प्रयोग किया था?”

राज्यसभा सांसद और आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने ट्वीट किया है, “ये जानकर अच्छा लगा कि सरकार उन विशेषणों से अवगत है जो उसके कामकाज का सटीक और सही वर्णन करते हैं।” राघव ने कहा कि सरकार ने आदेश निकाला है कि संसद में सांसद कुछ शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते। उन शब्दों की सूची पढ़कर लगता है कि सरकार बखूबी जानती है कि उनके काम को कौन से शब्द परिभाषित करते हैं। जुमलाजीवी कहना असंसदीय हो गया है लेकिन आंदोलनजीवी कहना असंसदीय नहीं हुआ।

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि असंसदीय भाषा अहम नहीं है वह किस संदर्भ कहा गया है वह महत्वपूर्ण है। अगर में संसद में बोलूं कि ‘मैं मोदी सरकार पर फूल फेंक कर मारुंगा क्योंकि उन्होंने देश के नौजवानों को बेरोज़गार बना दिया’ तो क्या वे ‘फूल’ को असंसदीय घोषित कर देंगे? भारत की 50% आबादी 25 वर्ष से कम उर्म के युवाओं की है, उनके लिए मोदी सरकार ने क्या किया? बेरोज़गारी इस देश का ज्वलंत मसला है। (धर्म) परिवर्तन से भारत का क्या ताल्लुक? भारत का कोई धर्म है? RSS चाहती है कि भारत का एक धर्म हो।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संसद में एक किताब बनती है जिसमें लिखा होता है कि कौन से शब्द असंसदीय हैं और कौन से संसदीय होते हैं। उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी ने) जो शब्द अपने संसदीय जीवन में कहे और बोले हैं वही शब्द हम बोलेंगे और उनको बताएंगे कि उनकी बहस में उन्होंने क्या कहा। वे जब खुद कहते हुए आए हैं आज उनको क्यों लग रहा है कि यह शब्द ठीक नहीं है।

सदन में कुछ शब्दों का इस्तेमाल करने की पाबंदी लगाने पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज कहते हैं कि यह शब्द इस्तेमाल नहीं हो सकते, कल कहेंगे कि संसद में आना है तो भगवा कपड़े पहनकर आओ। इन चीज़ों को देखने के लिए संसद में नियम और नैतिक समितियां हैं। यह दूसरा संसद बनाकर दूसरा गणतंत्र बनाते जा रहे हैं। इस दूसरे गणतंत्र में नए संविधान को बनाने की कोशिश होगी। क्या यह नए व्याकरण की रचना कर रहे हैं? हम इन शब्दों में इस्तेमाल करते रहेंगे। मोदी जी और अमीत शाह जी ‘जुमले’ का मतलब जाकर पढ़ लें।

बता दें कि संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से शुरू हो रहा है और इसके 12 अगस्त तक चलने की संभावना है। इससे पहले लोकसभा सचिवालय ने हिंदी और अंग्रेज़ी के ऐसे शब्दों-वाक्यों की सूची जारी की है, जिनका सदन में इस्तेमाल असंसदीय माना जाएगा।

जिन शब्दों को असंसदीय भाषा की श्रेणी में रखा गया है उनमें शकुनि, तानाशाह, तानाशाही, जयचंद, विनाश पुरुष, ख़ालिस्तानी और ख़ून से खेती शामिल हैं, यानी अगर इन शब्दों का इस्तेमाल संसद में किया गया तो उसे सदन के रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा। विपक्षी पार्टी के नेताओं ने हमलावर रुख अपनाते हुए आरोप लगाया है कि सूची में वो सारे शब्द हैं, जिसका इस्तेमाल सदन में सरकार के लिए विपक्ष करता है। सूची में जो नए शब्द इस बार जोड़े गए हैं वो सभी शब्द 2021 में संसद के दोनों सदनों , अलग अलग विधानसभाओं और कॉमनवेल्थ देशों की संसद में इस्तेमाल किए गए हैं।

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इन शब्दों पर लगी रोक
जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, बहरी सरकार, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, उचक्के, अहंकार, कांव-कांव करना, काला दिन, गुंडागर्दी, गुलछर्रा, गुल खिलाना, गुंडों की सरकार, दोहरा चरित्र, चोर-चोर मौसेरे भाई, चौकड़ी, तड़ीपार, तलवे चाटना, तानाशाह, दादागिरी, दंगा सहित कई अंग्रेज़ी के शब्दों का इस्तेमाल भी अब लोकसभा या राज्यसभा में बहस के दौरान नहीं किया जाएगा। अंग्रेज़ी शब्दों की लिस्ट में अब्यूज़्ड, ब्रिट्रेड, करप्ट, ड्रामा, हिपोक्रेसी और इनकॉम्पिटेंट, कोविड स्प्रेडर और स्नूपगेट शामिल हैं।
इसके अलावा अध्यक्ष पर आक्षेप को लेकर इस्तेमाल किए गए कई वाक्यों को भी असंसदीय अभियव्यक्ति की श्रेणी में रखा गया है, मसलन- आप मेरा समय खराब कर रहे हैं, आप हम लोगों का गला घोंट दीजिए, चेयर को कमज़ोर कर दिया गया है, मैं आप सब से यह कहना चाहती हूं कि आप किसके आगे बीन बजा रहे हैं?
सूची में राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यवाही से हटाए गए जिन शब्दों और वाक्यों को शामिल किया गया है उनमें अंट-शंट, अनपढ़, अनर्गल, अनार्किस्ट, उचक्के, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, औकात, कांव-कांव करना, गिरगिट, गुलछर्रा, घड़ियाली आंसू, घास छीलना, चोर-चोर मौसेरे भाई, ठग, ठगना, ढिंढोरा पीटना, तड़ीपार, तलवे चाटना, धोखाधड़ी, नाटक आदि शामिल हैं।

 

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