केजीएमयू में लव जिहाद बंद करो... लव जिहाद के खिलाफ प्रदर्शन, निकाला कैंडल मार्च

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। केजीएमयू में सामने आए कथित लव जिहाद प्रकरण को लेकर शनिवार को राजधानी में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। आम नागरिक के बैनर तले विभिन्न अस्पतालों के चिकित्सक, मेडिकल छात्र, अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और एसिड सर्वाइवर्स ने कैंडल मार्च निकालकर विरोध दर्ज कराया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने आरोपी डॉक्टर रमीज और केजीएमयू प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

1090 चौराहे पर हुए प्रदर्शन के दौरान ''केजीएमयू में लव जिहाद शर्मनाक है'', ''केजीएमयू प्रशासन मुर्दाबाद'' और ''केजीएमयू में लव जिहाद बंद करो'' जैसे नारे लगाए गए। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि मामला सामने आने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

प्रदर्शन में शामिल डॉक्टर अभिषेक पांडे ने कहा कि केजीएमयू में लव जिहाद की घटना पूरे समाज के सामने आ चुकी है। इसके बावजूद पहले हुए बड़े प्रदर्शन के बाद भी प्रशासन ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि हम केजीएमयू प्रशासन को स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं कि आरोपी डॉक्टर रमीज के खिलाफ कार्रवाई हो और पीड़िता को न्याय मिले। 

उन्होंने जांच के लिए गठित कमेटी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह केवल खानापूर्ति के लिए बनाई गई है। एक महिला डॉक्टर से जुड़े संवेदनशील मामले में गठित विशाखा कमेटी लाचार नजर आ रही है और इसमें ऐसे लोग शामिल हैं, जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने मांग की कि वर्तमान कमेटी को भंग कर पुलिस प्रशासन, महिला चिकित्सकों, अधिवक्ताओं और स्वतंत्र सदस्यों को शामिल करते हुए नई जांच कमेटी गठित की जाए।

प्रदर्शन में शामिल डॉक्टर ताविषि मिश्रा ने आरोप लगाया कि इस पूरे प्रकरण में केजीएमयू प्रशासन की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। उन्होंने कहा कि महिला से जुड़े मामले की जांच के लिए बनाई गई कमेटी में किसी महिला सदस्य का न होना प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पीड़िता के सहयोगी मेडिकल छात्रों को डराया जा रहा है, जिससे वे खुलकर सामने नहीं आ पा रहे हैं। 

डॉ. ताविषि ने बताया कि पीजी छात्रों पर फेल करने का दबाव बनाया जा रहा है, जिससे कई अहम तथ्य सामने नहीं आ पा रहे हैं, लेकिन छात्र अंदरूनी दबाव महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल एक डॉक्टर का नहीं, बल्कि इंसानियत और न्याय का है और समाज के विभिन्न वर्गों का इस आंदोलन से जुड़ना दर्शाता है कि लोग पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए एकजुट हैं।

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