शहरों का विकास

भारत विश्व की तेजी से विकास करती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। आर्थिक विकास में शहरों की प्रमुख भूमिका रही है। हाल के कुछ वर्षों में, विशेष रूप से शहरों और शहरी निवासियों के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। फिर भी परिणाम निराशाजनक ही रहे हैं। इसका प्रमुख ज़िम्मेदार खराब योजना-निर्माण, …

भारत विश्व की तेजी से विकास करती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। आर्थिक विकास में शहरों की प्रमुख भूमिका रही है। हाल के कुछ वर्षों में, विशेष रूप से शहरों और शहरी निवासियों के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। फिर भी परिणाम निराशाजनक ही रहे हैं। इसका प्रमुख ज़िम्मेदार खराब योजना-निर्माण, अवसंरचनात्मक कमियों और शहरी स्थानीय निकायों की बदतर स्थिति को ठहराया जा सकता है।

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहरी निकायों के महापौरों से शहरों के समग्र विकास की योजना बनाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों की सोच सिर्फ चुनाव को ध्यान में रखते हुए सीमित नहीं होनी चाहिए क्योंकि चुनाव केंद्रित सोच से शहरों का भला नहीं किया जा सकता। गांधीनगर में आयोजित महापौर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने शहरी विकास के गुर बताए।

मोदी ने कहा शहरी नियोजन तदर्थ नहीं होना चाहिए। नीतियां बनाकर शहरी नियोजन का मानकीकरण कर सकते हैं। इससे ग्रे क्षेत्र भी खत्म हो जाएंगे। वास्तव में शहरीकरण आर्थिक विकास एवं प्रगति का मुख्य घटक है और शहरी विकास का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति, उचित स्वास्थ्य सेवाएं, संतोषप्रद जीवन निर्वाह स्तर के अतिरिक्त सहनागरिकों के साथ सामाजिक सामंजस्य, उचित पर्यावरण, उपयुक्त जन सुविधाओं तथा मनोरंजन युक्त जीवन के अवसर प्रदान करना है।

शहरी विकास के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है, ताकि सस्ते आंतरिक-शहर आवास (रेंटल प्रोजेक्ट, नागरिक सेवाओं और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच सहित), वर्द्धित संवहनीयता और हरियाली आदि को परिवहन दृष्टिकोण के साथ एकीकृत किया जा सके। हालांकि राज्य सरकारें शहरी विकास पर प्रभावी नियंत्रण रखती हैं। इसलिए प्रधानमंत्री ने केंद्र पर निर्भर रहने के बजाय राज्यों को शहरी नियोजन में अग्रणी भूमिका निभाने को कहा।

उम्मीद की जा सकती है कि आजादी के अमृत काल में अगले 25 साल के लिए भारत के शहरी विकास का एक रोड मैप बनाने में इस दो दिवसीय सम्मेलन की महती भूमिका रहेगी। देश में क्षमता निर्माण की आवश्यकता है, ताकि शहर शहरीकरण के लाभ प्राप्त कर सकें और पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था निर्माण के लिए आवश्यक आर्थिक गति का सृजन कर सकें।

निर्माण में नागरिकों को हितधारक बनाया जाना चाहिए, जहां शहर नियोजन प्रक्रियाओं के संबंध में जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से उन्हें और निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया जाए क्योंकि विकास के लिए लोगों की भागीदारी जरूरी है।