युवा बेरोजगारी अधिक

युवा बेरोजगारी अधिक

भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। परंतु अर्थव्यवस्था में होने वाली वृद्धि उन लाखों युवाओं के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा नहीं कर पा रही है, जो हर साल श्रम बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। निश्चित रूप से यह स्थिति विरोधाभाषी है। 

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (अईएलओ) की हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में जो बेरोजगार कार्यबल है, उनमें लगभग 83 फीसद युवा हैं। आईएलओ की रिपोर्ट में इस बात को लेकर चिंता जताई गई है कि अधिकतर युवाओं में जरूरी कौशल की कमी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने स्वीकार किया है कि युवा आयु वर्ग में बेरोजगारी सबसे अधिक है, लेकिन यह अस्थायी है। 

उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय युवा कौशल हासिल करने और उद्यम शुरू करने में अधिक समय लगाते हैं। गोयल ने कहा कि मजबूत वृद्धि के साथ देश में रोजगार सृजन में लगातार सुधार हो रहा है। अधिक योग्य लोगों में युवा बेरोजगारी अधिक है, लेकिन वे अधिक वेतन भी कमाते हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए, युवा कौशल हासिल करने और नौकरी की तलाश में अधिक समय बिता रहे हैं। 

दरअसल पिछले कुछ दशकों में अधिकांश वृद्धि भारत के सेवा क्षेत्र के विस्तार की वजह से हुई है, जो कि विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में उतने रोजगार नहीं पैदा कर पाती है। हालांकि, कृषि और निर्माण क्षेत्र में नौकरियां काफी हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में उतने कुशल श्रमिक नहीं मिल पा रहे हैं जितनी उम्मीद की जाती है। यही वजह कि नव शिक्षित वर्ग श्रम क्षेत्र की मांगों को पूरा नहीं कर पा रहा है।  

यानी, उन क्षेत्रों में नौकरियां भी हैं और नौकरी चाहने वाले भी, लेकिन काम के हिसाब से योग्यता और कौशल की कमी है। पिछले तीन वर्षों में सरकार ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और रोजगार पैदा करने के तौर पर सड़कों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाया है। इन तमाम प्रयासों के बावजूद, युवाओं के लिए रोजगार सृजन अपर्याप्त है जो कि आईएलओ की रिपोर्ट से पता चल रहा है। 

रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा बेरोजगारी स्नातक डिग्री धारकों में पाई गई। इनमें महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित समूह था जबकि भारत उन देशों में से एक है जहां महिला श्रम बल भागीदारी दर दुनिया में सबसे कम, करीब 25 फीसदी है। ऐसे में गैर-कृषि रोजगार बढ़ाने के लिए नीतियों में बदलाव की जरूरत भी जोर है। बेहतर स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, बीमा, शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण सुविधाओं के माध्यम से युवाओं के लिए अवसरों को बढ़ाया जा सकता है।

ये भी पढे़ं- चीन पर दबाव

 

 

Related Posts