सकारात्मक पहल

सकारात्मक पहल

भारत-चीन संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण स्थिति में हैं। समय-समय पर चीन की तरफ से ऐसी गतिविधियां हुईं जिससे दोनों देशों के बीच शांति की गुंजाइश के इंतजार को और बढ़ाया ही है। चीन से तनावपूर्ण संबंधों की बात स्वयं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी स्वीकार्य की है। हाल ही में एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, चीन के साथ हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं, क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति भंग हो गई है।

इसलिए वह उम्मीद जता रहे थे कि चीनी सरकार को यह महसूस करना चाहिए कि वर्तमान स्थिति उसके हित में नहीं है। गौरतलब है कि भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध चल रहा है और सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। हालांकि दोनों पक्ष कई बिंदुओं से पीछे हट गए हैं।

भारत लगातार यह कहता भी रहा है कि समग्र संबंधों को सामान्य बनाने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति महत्वपूर्ण है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत सदैव से शांति का पक्षधर रहा है। चाहे पाकिस्तान हो या चीन भारत ने कभी उनको किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने की पहल नहीं की। जब सीमा के उस पार से भारत विरोधी कोई हरकत या गतिविधि हुई तभी भारत ने विरोध स्वरूप कोई कार्रवाई की। 

बीते दिनों पूर्वी लद्दाख सैन्य गतिरोध के पांचवें वर्ष में प्रवेश करने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत चीन के साथ शेष मुद्दों के समाधान की उम्मीद करता है।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सामान्य द्विपक्षीय संबंधों की वापसी सीमा पर शांति से निर्भर करती है। यह बात सही है कि जब तक सीमा पर शरारत पूर्ण हरकतें बंद नहीं होंगी तब किसी भी देश के साथ शांति स्थापित कर मैत्रीपूर्ण संबंध की कल्पना करना दिवास्वपन जैसा ही है। इसके इतर बात की जाए तो हर देश अपने पड़ोसी देशों से शांति और मैत्रीपूर्ण संबंधों की अपेक्षा करता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब तब इस बात को दोहराते रहते हैं। भारतीय नेतृत्व के इस तरह के रूख को देखते हुए चीन भी भारत से पुन: मैत्रीपूर्ण संबंधों की चाह रख रहा है। शायद तभी भारत में 18 माह से खाली पड़े पद पर चीन ने अपना राजदूत नियुक्त कर भेजा है। बीते दिनों भारत में चीन के नए राजदूत शू फेइहोंग दिल्ली पहुंच गए हैं।

शू ने कहा कि चीन एक-दूसरे की चिंताओं को समझने और बातचीत के माध्यम से विशिष्ट मुद्दों का पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है। चीन के इस रूख से दोनों देशों के बीच संबंधों में कितना सुधार होगा यह भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इसे संबंधों के सुधार की दिशा में एक सकारात्मक पहल जरूर कहा जा सकता है।