बागेश्वर: अश्विन माह आते ही बाजार में सन्नाटा, कामकाज में व्यस्त हुए ग्रामीण
बागेश्वर, अमृत विचार। अश्विन आते ही बाजारों में सन्नाटा पसर गया है। ग्रामीण खेतों में घास व धान कटाई में व्यस्त हो गए हैं। काश्तकार तड़के सुबह से देर रात तक कार्यों में व्यस्त रहते हैं। अश्विन माह में पहाड़ों में घास कटान के कार्य से कार्य प्रारंभ होता है। इसके कुछ दिनों बाद ही …
बागेश्वर, अमृत विचार। अश्विन आते ही बाजारों में सन्नाटा पसर गया है। ग्रामीण खेतों में घास व धान कटाई में व्यस्त हो गए हैं। काश्तकार तड़के सुबह से देर रात तक कार्यों में व्यस्त रहते हैं।
अश्विन माह में पहाड़ों में घास कटान के कार्य से कार्य प्रारंभ होता है। इसके कुछ दिनों बाद ही धान कटाई का कार्य प्रारंभ होने लगता है। इन दिनों काश्तकारों का परिवार तड़के सुबह ही खेतों में पहुंचकर कार्यों में मशगूल हो जाता है। दिन भर धान मढ़ाई व घास काटने के बाद परिवार के एक या दो सदस्यों को धान, पुवाल व घास को घर पहुंचाने की जिम्मेदारी होती है तथा शेष सदस्य खेतों में काम में लगे रहते हैं।
महिलाओं की होती है विशेष भूमिका
असोज समेटने में महिलाओं की भूमिका विशेष होती है। महिलाएं सुबह ही खेतों में निकल जाती है। इसके बाद वे देर सायं ही घास या पुवाल का गठ्ठर लेकर ही घर लौटती हैं। उनके द्वारा दिन भर खेतों में कार्य किया जाता है। इस दौरान महिलाओं का नाश्ता, चाय व खाना तक खेतों में ही पहुंचाया जाता है।
बरसात ने किया नुकसान
इस बार किसानों की धान फसल व घास को बरसात ने काफी नुकसान किया है। काश्तकार चंद्रकला देवी, पुष्पा देवी ने बताया कि इस बार बरसात पहले हुई नहीं और जब कटान का समय आया तो बरसात हुई जिससे उन्हें नुकसान हुआ है। इसके अलावा सुअरों ने भी धान की फसल को नुकसान पहुंचाया है।
पहाड़ों में महिलाएं खेती में विशेष मेहनत करती हैं। यहां के किसानों की मेहनत पर जंगली जानवरों का कहर होने के कारण किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं हो पाता है। कई किसानों को अब भी उन्नत खेती के बीज व खाद का ज्ञान नहीं है। जिससे उत्पादन अपेक्षित नहीं हो पाता है। इसके लिए विभाग कार्य कर रहा है। – शुघर सिंह वर्मा, मुख्य कृषि अधिकारी, बागेश्वर
