चिटफंड कंपनियों द्वारा ठगे गए 19 हजार निवेशकों को वापस दिलवाए गए पैसे- CM भूपेश

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Published By Vishal Singh
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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि चिटफंड कम्पनियों की धोखाधड़ी के शिकार 19 हजार निवेशकों को उनकी सरकार

डोगरगांव। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि चिटफंड कम्पनियों की धोखाधड़ी के शिकार 19 हजार निवेशकों को उनकी सरकार ने पैसे वापस दिलाए है,और यह सिलसिला लगातार चल रहा हैं।

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सीएम बघेल ने आज यहां भेंट मुलाकात के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कहा कि चिटफंड में पैसा लगाने वाले 19000 लोगों के पैसे वापस आये, यद्यपि यह संतोषप्रद नहीं है। यह कठिन कार्य है लेकिन हम जुटे हुए हैं। प्रक्रिया काफी लंबी होती है लेकिन जरूरी है। अन्य राज्य भी पूछ रहे हैं कि यह कैसे किया। यह कठिन कार्य है लेकिन पूरी तन्मयता से जुटे हुए हैं।राजनांदगांव से ही इसकी शुरुआत हुई।

उन्होंने सहारा की रिकवरी के बारे में पूछे एक प्रश्न पर कहा कि उन्होंने पैसा देने के लिए कुछ समय मांगा है। हमने कहा है कि आप निवेशकों का पैसा दें। इसके लिए कुछ मोहलत दी गई है। उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ का कार्य लोगों के लिए नजीर है कि कैसे लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत कर सकते हैं। हर औद्योगिक केंद्र रीपा के लिए दो करोड़ स्वीकृत किये गए हैं। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में यह महत्वपूर्ण होंगे।

उन्होंने कहा कि इस साल हम 10 अंग्रेजी के महाविद्यालय खोल रहे हैं, इससे शिक्षा का दायरा और बढ़ेगा। श्री बघेल ने भेंट-मुलाकात पर एक सवाल पर कहा कि कोरोना काल की वजह से हम चाहकर भी प्रत्यक्ष रूप से जुड़ नहीं सके।सारे कार्यक्रम वर्चुअल हुए। अच्छी योजनाएं आरम्भ की। हमें यह जानना था कि इसका जमीनी क्रियान्वयन कैसे हो रहा है।इसके लिए यह कार्यक्रम तय किया।

सीएम ने कहा कि लोगों के बीच जब जाते हैं और वे विश्वास से भरकर प्रसन्नचित्त अपनी बात रखते हैं कि उन्होंने कैसे योजना का लाभ लेकर बेहतर जीवन की ओर कदम बढ़ाए, इससे अन्य लोगों को लगता है कि हमें भी इसी तरह से बढ़ना चाहिए।

उन्होने कहा कि हमारी कई योजनाएं तो ऐसी हैं कि घोषणापत्र में भी नहीं थीं। जैसे इंग्लिश मीडियम स्कूल, भूमिहीन श्रमिक योजना आदि। यह सब इतने लोकप्रिय हुए। सबसे बड़ी बात यह कि हम कोरोना में संकट के दौर में लोगों के साथ खड़े रहे और उनके जेब में जनहित योजनाओं से पैसे डाले। संकट के समय खड़ा होना सबसे जरूरी है। हम लोगों को पैसे देते हैं ताकि अपनी वास्तविक आवश्यकता के आधार पर खर्च कर सके। हम उन्हें क्यों कहें कि हमारी रुचि पर खर्च करो।

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