प्रेम के अवसाद को भी साहस में बदल देते थे हरिवंश राय 'बच्चन', पढ़िए ये रचना

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Published By Jagat Mishra
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छायावादी कवि हरिवंश राय बच्चन ने प्रेम के अवसाद को साहस मेें बदलने की पुरजोर कोशिश की है। उनकी रचनाएं आशा का दीपक जलाए हुए हैं। पढ़िए ये सुन्दर रचना -

ओ गगन के जगमगाते दीप!
दीन जीवन के दुलारे
खो गये जो स्वप्न सारे,
ला सकोगे क्या उन्हें फिर खोज हृदय समीप?
ओ गगन के जगमगाते दीप!

यदि न मेरे स्वप्न पाते,
क्यों नहीं तुम खोज लाते
वह घड़ी चिर शान्ति दे जो पहुँच प्राण समीप?
ओ गगन के जगमगाते दीप!

यदि न वह भी मिल रही है,
है कठिन पाना-सही है,
नींद को ही क्यों न लाते खींच पलक समीप?
ओ गगन के जगमगाते दीप!

 

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