Year Ender 2022: उपराज्यपाल के साथ टकराव, मंत्रियों को लेकर विवाद दिल्ली सरकार से जुड़े रहे प्रमुख मुद्दे 

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
On

नई दिल्ली। उपराज्यपाल वी के सक्सेना के साथ नियमित टकराव, एक धार्मिक कार्यक्रम में एक तत्कालीन मंत्री राजेंद्रपाल गौतम की उपस्थिति संबंधी विवाद जिसमें कथित रूप से हिंदू देवताओं की निंदा की गई और मंत्रियों के भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने जैसी घटनाओं की वजह से साल 2022 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) नीत सरकार चर्चा में रही।

ये भी पढ़ें - Year Ender 2022: भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में बना पहले निजी रॉकेट उपग्रह के प्रक्षेपण का साक्षी

अनिल बैजल द्वारा 18 मई को व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए उपराज्यपाल के पद से इस्तीफा देने से पहले, उनके पांच साल के कार्यकाल के दौरान प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र और शासन से संबंधित मुद्दों को लेकर आप सरकार और उनके बीच लगातार टकराव की स्थिति रही। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने 2018 में एक बार उनके कार्यालय के बाहर 'धरना' भी दिया था।

हालांकि, उच्चतम न्यायालय के उस फैसले के बाद दोनों के बीच टकराव कम हो गया था, जिसमें उसने कहा था कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की सलाह मानने को बाध्य हैं। सक्सेना की उनके उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्ति के बाद, हालांकि, टकराव फिर से बढ़ गया। केजरीवाल सरकार को जुलाई में तब एक झटका लगा, जब सक्सेना ने उसकी 2021-22 की आबकारी नीति की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश कर दी।

इस नीति में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियागत खामियों के आरोप लगाये गए। दिल्ली सरकार ने राजस्व बढ़ाने और शराब व्यापार में सुधार के लिए पिछले साल शुरू की गई नीति को उसी महीने वापस ले लिया। इस नीति को लागू करने में कथित अनियमितताओं के संबंध में इस साल अगस्त में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर सीबीआई ने छापा मारा।

'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ...' और 'दिल्ली की योगशाला' सहित अन्य सरकारी योजनाओं को लेकर भी सरकार और उपराज्यपाल कार्यालय के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई। केजरीवाल सरकार और सक्सेना के बीच जुबानी जंग में कुछ हल्के-फुल्के पल भी आए, जब मुख्यमंत्री ने सक्सेना के कार्यालय से उन्हें भेजे गए पत्रों को 'लव लेटर' करार दिया और टिप्पणी की कि उनकी पत्नी ने भी उन्हें इतने ‘लव लेटर’ नहीं लिखे हैं।

केजरीवाल दिल्ली सरकार की बिजली सब्सिडी योजना और इसकी विवादास्पद आबकारी नीति में घोर अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए सक्सेना द्वारा लिखे पत्रों का जवाब दे रहे थे। अक्टूबर में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम के 5 अक्टूबर को एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने संबंधी एक वीडियो के व्यापक रूप से प्रसारित होने के बाद आप सरकार को अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा।

वीडियो में सैकड़ों लोग हिंदू देवी-देवताओं को देवता न मानने और बौद्ध धर्म अपनाने की प्रतिज्ञा लेते दिखे। विवाद के बाद गौतम ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जबकि भाजपा ने इस मुद्दे का इस्तेमाल गुजरात में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान केजरीवाल पर "हिंदू विरोधी" होने का आरोप लगाने के लिए किया।

गौतम ने ट्विटर पर एक पत्र साझा करते हुए कहा कि वह कार्यक्रम में निजी हैसियत से शामिल हुए थे और इसका आप या उनके पास मौजूद विभाग से कोई लेना-देना नहीं है। दिल्ली सरकार को मई में उस समय झटका लगा, जब प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन के एक मामले में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार कर लिया।

जैन की मुश्किल तब और बढ़ गई जब कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर ने अक्टूबर में सक्सेना को पत्र लिखकर आरोप लगाया गया कि मंत्री ने जेल में उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 2019 में उससे 10 करोड़ रुपये की ‘‘उगाही’’ की थी। एक महीने बाद, आप सरकार को तब एक और झटका लगा, जब एक कथित वीडियो सामने आया, जिसमें जैन जेल स्थित अपनी कोठरी में बिस्तर पर लेटकर आगंतुकों से बात करते और पैरों की मालिश कराते दिखे।

कथित वीडियो में उनके बिस्तर के पास मिनरल वाटर की बोतल और रिमोट भी दिखा। एक अन्य वीडियो में वह कुर्सी पर बैठकर सिर की मालिश कराते नजर आए। हालांकि, सिसोदिया ने जैन का बचाव किया और दावा किया कि रीढ़ की हड्डी में चोट के बाद उन्हें फिजियोथेरेपी दी जा रही थी, लेकिन भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि वह एक बलात्कार के आरोपी से मालिश करवा रहे थे।

सात महीने से अधिक समय के बाद भी जैन जेल में हैं। उनके पास स्वास्थ्य और बिजली विभाग सहित कई महत्वपूर्ण विभाग थे। सिसोदिया हालांकि जैन के विभागों को देख रहे हैं, लेकिन विपक्ष दोनों को भ्रष्टाचार के आरोपों में हटाने की मांग कर रहा है।

भाजपा ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनावों के प्रचार के दौरान आप पर निशाना साधने के लिए बड़े पैमाने पर इन आरोपों का इस्तेमाल किया। हालांकि, आप ने दिसंबर की शुरुआत में एमसीडी चुनाव में 250 सदस्यीय लगर निकाय में 134 सीट हासिल करके एमसीडी में भाजपा के 15 साल का शासन समाप्त कर दिया। 

ये भी पढ़ें - राजस्थानः वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना के लिए 15 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजट

संबंधित समाचार