वैश्विक चुनौतियों से पार पाने में समर्थ है भारतीय अर्थव्यवस्था: एसोचैम 

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Published By Sakshi Singh
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एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि हालांकि, वैश्विक स्थिति चुनौतीपूर्ण लग रही है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती बने रहने की उम्मीद है।

नई दिल्ली। उद्योग मंडल एसोचैम ने सोमवार को कहा कि मजबूत उपभोक्ता मांग, कंपनियों के अच्छे प्रदर्शन और मुद्रास्फीति में नरमी के साथ देश की अर्थव्यवस्था के 2023 में वैश्विक स्तर पर कठिन दौर से बाहर निकलने और मजबूत प्रदर्शन करने की उम्मीद है। यह साल चुनौतियों और अवसरों से भरा रहेगा। 

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एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि हालांकि, वैश्विक स्थिति चुनौतीपूर्ण लग रही है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती बने रहने की उम्मीद है। इसका कारण मजबूत घरेलू मांग, वित्तीय क्षेत्र की अच्छी स्थिति और कंपनियों के बही-खातों का सुदृढ़ होना है। रबी फसल की उपज बेहतर रहने के शुरुआती संकेत मिले हैं। यह कृषि क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन का संकेत देता है। इससे दैनिक उपयोग के सामान, ट्रैक्टर, दोपहिया वाहन, विशेष रसायन और उर्वरकों जैसे संबंधित उद्योगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।

 उन्होंने कहा कि यात्रा, होटल और परिवहन जैसे संपर्क वाले क्षेत्रों में ग्राहकों की रुझान अच्छा है। इसका सकारात्मक प्रभाव परिवहन, आवास, बिजली, इलेक्ट्रॉनिक्स, सोच-विचार कर होने वाले उपभोक्ता वस्तुओं पर खर्च और वाहन क्षेत्रों पर पड़ेगा।

सूद ने कहा कि वैश्विक मांग में नरमी का जो जोखिम है, उसे हमारी घरेलू मांग बेअसर करेगी...हालांकि हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खासकर उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा में उतार-चढ़ाव को लेक सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आकलन के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था में केवल 2.7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। इसका कारण कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की स्थिति है। 

वहां के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर में वृद्धि से भी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। सूद ने कहा कि एक हद तक, उच्च ब्याज का प्रभाव घरेलू कंपनियों के बही-खातों में दिखाई देगा। हालांकि, कंपनियों से उम्मीद की जाती है कि वे मजबूत शेयर बाजार और जिंसों की कीमतों में कमी की स्थिति का लाभ उठाते हुए कर्ज में कमी लाने की नीति को जारी रखेंगी।

उन्होंने कहा कि कई अर्थव्यवस्थाओं में मंदी समेत वैश्विक चुनौतियों, भू-राजनीतिक तनाव की स्थिति बने रहने...के बावजूद भारत चालू वित्त वर्ष 2022-23 में 6.8 से 7.0 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने के रास्ते पर है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह स्थिति बने रहने की उम्मीद है।

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