मासिक धर्म के प्रबंधन के लिए 50 करोड़ महिलाओं और लड़कियों को पर्याप्त सुविधाएं हासिल नहीं

Amrit Vichar Network
Published By Priya
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महावारी गरीबी का समाधान सिर्फ उत्पादों को मुफ्त करने से कहीं अधिक है, ब्रिटेन का अनुमान, अपनी माहवारी के कारण 49 प्रतिशत लड़कियां स्कूल नहीं जा पाती

बर्मिंघम। दुनिया के 2.8 अरब से अधिक लोगों को सुरक्षित स्वच्छता मुहैया नहीं है। दुनिया की एक तिहाई आबादी के पास शौचालय नहीं है। यह व्यापक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा गरीबी, विनाश और पर्यावरणीय जोखिम से जुड़ा है। यह उन संघर्षों की पृष्ठभूमि भी प्रदान करता है, जिनका सामना दुनिया भर की महिलाओं और लड़कियों को अपने मासिक धर्म के समय करना पड़ता है। मासिक धर्म के प्रबंधन के लिए कम से कम 50 करोड़ महिलाओं और लड़कियों को पर्याप्त सुविधाएं हासिल नहीं हैं। ‘‘माहवारी गरीबी’’ इन बाधाओं का वर्णन करती है, सैनिटरी उत्पादों की लागत और शौचालयों तक पहुंच के अलावा इन दिनों में कक्षा से लेकर खेल तक की गतिविधियों से बाहर रखा जाना शामिल है, लेकिन चुनौतियां यहीं नहीं रुकतीं।

 अनुसंधान से पता चलता है कि दमनकारी पितृसत्तात्मक व्यवस्थाओं में ढले समुदायों में, मासिक धर्म को अभी भी एक वर्जित विषय के रूप में देखा जाता है। और यह शर्मिंदगी का कारण बनता है। इसके अलावा, जब बड़ी होती लड़कियां माहवारी की आदी हो रही होती हैं तो आपके मासिक धर्म को गुप्त रखने जैसे विज्ञापन उनके लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। क्यों मुफ्त उत्पाद समाधान का हिस्सा भर हैं ब्रिटेन में, यह अनुमान लगाया गया है कि 49 प्रतिशत तक लड़कियां अपनी माहवारी के कारण स्कूल नहीं जा पाती हैं। यह मुख्य रूप से माहवारी के उत्पादों की लागत से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। सरल उपाय, यहाँ, इन्हें सुलभ और निःशुल्क बनाना है। 

यूके के चार देशों में से स्कॉटलैंड विशेष रूप से इस दिशा में कदम उठा रहा है। एबरडीनशायर में एक सफल पायलट योजना के बाद, स्कॉटिश प्रशासन ने 2018 में पूरे देश में कम आय वाले परिवारों के लोगों के लिए माहवारी उत्पाद मुफ्त कर दिए। हालाँकि, शोध से पता चलता है कि पैसा समस्या का केवल एक हिस्सा है। कई महिलाएं और लड़कियां सामाजिक रूप से वंचित हैं, जिनमें माहवारी के बारे में जानकारी और शिक्षा का गंभीर अभाव है। जब किसी मुद्दे के संबंध में शर्मिंदगी महसूस होती है, तो इसका परिणाम यह होता है कि लोग उसके बारे में आवश्यक जानकारी खोजने में अनिच्छुक होते हैं। पर्याप्त यौन शिक्षा की कमी से शर्मिंदगी बढ़ जाती है।

 अनुसंधान से पता चलता है कि यूके में आधी लड़कियां अपनी माहवारी से शर्मिंदा हैं और स्कूल में उनके लिए सहायता की कमी है। सेक्स एजुकेशन फ़ोरम, रिश्तों और यौन शिक्षा पर केंद्रित एक चैरिटी, के अनुसार चार में से एक युवती को मासिक धर्म आने से पहले उसके बारे में नहीं पता होता है, यह संख्या बढ़ती हुई प्रतीत होती है। हो सकता है कि महामारी के कारण लॉकडाउन लगने और स्कूल बंद होने से यह और अधिक प्रभावित हुआ हो। रिश्तों के भीतर लिंग के बीच संवाद खोलना और स्कूलों के भीतर यौन शिक्षा में सुधार महत्वपूर्ण है। लेकिन बिजनेस के पास भी जवाब देने के लिए बहुत कुछ है। 

कंपनियां कैसे चीजों को खराब कर सकती हैं
माहवारी से जुड़े विज्ञापन आम तौर पर गुमराह करने वाले होते हैं। देखने से ऐसा लगता है कि इनका लक्ष्य माहवारी से जुड़ी वर्जना को तोड़ना है, लेकिन दरअसल वह इसमें इजाफा ही करते हैं। नवंबर 2022 में, टैम्पैक्स यूएस ने अपने आधिकारिक खाते से एक ट्वीट हटा दिया, जिसमें माहवारी के दौरान टैम्पोन के इस्तेमाल के बारे में ‘‘गलत ढंग’’ से प्रचार करने को लेकर माफी मांगी गई थी और भविष्य में इस संबंध में बेहतर करने का वचन दिया गया था। विज्ञापन जो सैनिटरी उत्पादों को मज़ेदार और आकर्षक बनाने का प्रयास करते हैं, अक्सर पीरियड्स को सेक्स से जोड़ते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पीरियड्स उन कंपनियों के लिए फायदेमंद होते हैं जो टैम्पोन और सैनिटरी टॉवल जैसे डिस्पोजेबल उत्पाद बनाती हैं और सेक्स बेचती हैं। 

हालाँकि, कुछ लड़कियों को नौ साल की उम्र में ही मासिक धर्म शुरू हो जाता है, जो मासिक धर्म उत्पादों के इस तरह के यौनकरण को और भी हानिकारक बना देता है। यह एक आम ग़लतफ़हमी है कि माहवारी ग़रीबी केवल उन लोगों के लिए एक मुद्दा है जिन्हें मासिक धर्म हो रहा है। परिवार के बजट पर डिस्पोजेबल उत्पादों को खरीदने के वित्तीय प्रभाव के कारण, या स्कूल और काम के दिनों में छूटे हुए अप्रत्यक्ष प्रभाव के कारण कई पुरुष और जिन्हें माहवारी नहीं होती है, वे भी परिणाम के रूप में पीड़ित होते हैं। कई महिलाओं और लड़कियों के लिए मासिक धर्म अलगाव का कारण बन सकता है और उनके आत्मसम्मान और गरिमा की भावना को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। माहवारी के नि:शुल्क उत्पाद और शर्म या प्रतिबंधों के बिना इस अवधि से निपटने में सक्षम होना एक बुनियादी मानव अधिकार होना चाहिए। 

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