रिश्वत मामले में पंजाब आप विधायक अमित रतन कोटफट्टा गिरफ्तार, विधायक खैरा बोले- जनशक्ति की जीत
चंडीगढ़। पंजाब की बठिंडा ग्रामीण सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक अमित रतन कोटफट्टा को आज पंजाब सतर्कता ब्यूरो ने रिश्वत मामले में गिरफ्तार किया। विधायक की गिरफ्तारी उनके करीबी रशीम गर्ग को इसी मामले में पंजाब सतर्कता ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किए जाने के कुछ दिनों बाद हुई है।
ब्यूरो के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि विधायक को रिमांड लेने के लिए अदालत में पेश किया जाएगा। रशीम गर्ग को 16 फरवरी को बठिंडा में घुड़ा ग्राम प्रधान के पति द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपी 25 लाख रुपये का सरकारी अनुदान जारी करने के बदले में 5 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहा था। बठिंडा में सतर्कता ब्यूरो की एक टीम ने गर्ग को 04 लाख नकद के साथ पकड़ा।
कोटफट्टा ने पहले गर्ग के साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया था। उन्होंने विपक्षी दलों पर पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार को बदनाम करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज ट्वीट कर कहा, रिश्वतखोरी चाहे किसी ने भी की हो, किसी भी तरीके से की हो, बर्दाशत नहीं की जाएगी, पंजाब के लोगां का विश्वास, प्यार और उम्मीदें मेरा हौसला बुलंद रखती हैं। लोगों के टैक्स का पैसा खाने वालों परप कोई रहम या तरस नहीं, कानून सभी के लिए बराबर है।
विधायक रतन की गिरफ्तारी जनशक्ति की जीत :खैरा
पंजाब के बठिंडा से आम आदमी पार्टी के विधायक अमित रतन कोटफट्टा की गिरफ्तारी को जनशक्ति की जीत करार देते हुए कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री फौजा सरारी को भी गिरफ्तार करने की मांग की है। विधायक खैरा ने कहा कि भ्रष्ट आप विधायक कोटफट्टा की गिरफ्तारी ने खुद को कटर ईमानदार बताने वाली अरविंद केजरीवाल पार्टी के भीतर की गंदगी को उजागर कर दिया है। उनकी गिरफ्तारी जनशक्ति की जीत है क्योंकि भगवंत मान विधानसभा में विरोध का सामना करने से डरते थे। कांग्रेस पूर्व मंत्री फौजा सरारी की गिफ्तारी की मांग करती है।
उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार में खाद्य प्रसंस्करण और बागवानी मंत्री तथा आम आदमी पार्टी (आप) के नेता फौजा सिंह सरारी ने सात जनवरी को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। सरारी पिछले साल सितंबर में अपने करीबी सहयोगी के साथ बातचीत का एक ऑडियो क्लिप सामने आने के बाद विवादों में आ गए थे, जिसमें कथित तौर पर अधिकारियों और ट्रांसपोर्टरों से पैसे वसूलने की योजना’ पर चर्चा की गई थी। तब से मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार की तब से ही किरकिरी हो गई थी।
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