कटक के रेनशॉ विश्वविद्यालय फिल्म महोत्सव में विवाद, दो फिल्मों का प्रदर्शन रोका गया 

Amrit Vichar Network
Published By Ashpreet
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भुवनेश्वर। ओडिशा के कटक में रेनशॉ विश्वविद्यालय में आयोजित फिल्म महोत्सव में सत्यजीत रे की फिल्म पाथेर पांचाली समेत तीन फिल्मों को प्रदर्शन सूची से हटाये जाने का फैसला लिया गया, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया। हालांकि बाद में पाथेर पांचाली के प्रदर्शन की अनुमति दे दी गयी।

शुरुआती आपत्तियों के बावजूद शुक्रवार को रे की यह फिल्म प्रदर्शित की गई, लेकिन विश्वविद्यालय ने कथित रूप से दक्षिणपंथी समूहों के अनुरोध पर दो अन्य फिल्मों गे इंडिया मैट्रीमोनी और हद अनहद को सूची से हटा दिया। विश्वविद्यालय की फिल्म सोसायटी के एक सदस्य ने कहा कि रेनशॉ में अपनी तरह का पहला तीन-दिवसीय कार्यक्रम काफी हद तक फिल्म निर्माता सत्यजीत रे पर केंद्रित है।

उनकी स्मृति में एक प्रदर्शनी लगाई गई है। इसके अलावा अन्य निर्देशकों की फिल्मों को भी जगह दी गई है। रे की फिल्म 'पाथेर पांचाली' और 'चारुलता' उन 15 फिल्मों में शामिल हैं, जिन्हें फिल्म समारोह में प्रदर्शन के लिए चुना गया था। रेनशॉ फिल्म सोसाइटी के सचिव शुभा सुदर्शन नायक ने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि 'पाथेर पांचाली' बृहस्पतिवार को विवाद में घिरने वाली फिल्मों में से एक थी, क्योंकि कुछ छात्रों ने इसके प्रदर्शन पर आपत्ति जताई थी।

नायक ने कहा, छात्रों का एक वर्ग नहीं चाहता था कि शुरुआत में 'पाथेर पांचाली' दिखाई जाए, उनका दावा है कि फिल्म में गरीबी का मजाक उड़ाया गया है। फिल्म को आज दिखाया गया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अब दो फिल्मों की स्क्रीनिंग रद्द कर दी है।

कुलपति संजय के. नायक से मामले पर प्रतिक्रिया मांगी गई, लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी धर्मब्रत मोहंती ने कहा, "कुछ छात्र दो फिल्मों - 'हद अनहद' और 'गे इंडिया मैट्रिमोनी' की स्क्रीनिंग के खिलाफ थे। हम कोई परेशानी नहीं चाहते थे और उन्हें सूची से हटा दिया गया। विश्वविद्यालय की फिल्म सोसायटी के एक अन्य सदस्य ने कहा कि शुक्रवार को पूर्वाह्न साढ़े दस बजे शुरू होने वाले महोत्सव को अधिकारियों ने एक दिन पहले ही कथित तौर पर एक अज्ञात धमकी भरे कॉल के कारण रद्द कर दिया था।

उन्होंने कहा कि इस फैसले के कारण कुलपति के कार्यालय के बाहर विरोध हुआ, जिससे अधिकारियों को कुछ शर्तों के साथ फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा। 'गे इंडिया मैट्रिमोनी' की निदेशक देबलीना मजूमदार ने विश्वविद्यालय के फैसले को 'कष्टप्रद और अपमानजनक' करार दिया। मजूमदार ने फोन पर एक न्यूज एजेंसी से कहा, अंतिम समय में हमारी फिल्म को सूची से बाहर करने के फैसले का मुझे कोई कारण नजर नहीं आता।

'गे इंडिया मैट्रीमोनी' को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से आवश्यक अनुमति मिली हुई है। हम ओडिशा के राज्यपाल से संपर्क करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं, जो रेनशॉ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। हालांकि कथित तौर पर एक दक्षिणपंथी संगठन से जुड़े छात्रों के एक समूह ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों का समर्थन किया। एक छात्र ने कहा, "हम फिल्म 'हद अनहद' और 'गे इंडिया मैट्रिमोनी' के प्रदर्शन का विरोध कर रहे हैं क्योंकि ये भारतीय संस्कृति के खिलाफ हैं।

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