हल्द्वानी: प्राकृतिक स्त्रोतों में जल श्राव स्तर गिरने से भारी जल संकट की आहट

जनपद के कुल 459 स्त्रोतों में 76 प्रतिशत से अधिक कमी वाले 36 और 51-75 प्रतिशत से अधिक की कमी के 167 स्त्रोत

हल्द्वानी: प्राकृतिक स्त्रोतों में जल श्राव स्तर गिरने से भारी जल संकट की आहट

नैनीताल, अल्मोड़ा और ऊधमसिंहनगर जिलों में चार सौ से अधिक गांव संकटग्रस्त श्रेणी में, 177 योजनाएं प्रभावित

हल्द्वानी, अमृत विचार। गर्मियों में प्रत्येक साल लोग जल संकट से जूझते हैं। इस साल भी बारिश न होने के चलते जल स्त्रोतों में जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। जल संस्थान की तरफ से जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

जल संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार जनपद में कुल प्राकृतिक जल स्त्रोतों की संख्या 459 है जिसमें स्त्रोतों में पानी की कमी को प्रतिशत के आधार पर तीन केटेगरी में बांटा गया है। पहले केटेगरी में 76 प्रतिशत से अधिक की कमी वाले स्त्रोत जिनकी संख्या 36 है और दूसरे केटेगरी में 51 से 75 प्रतिशत की कमी वाले स्त्रोत जिनकी संख्या 167 है और तीसरी केटेगरी में 0 से 50 प्रतिशत वाले स्त्रोत जिनकी संख्या 256 है।

इसके अलावा अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, उत्तरकाशी सहित कुल 11 जिले हैं जिनमें प्राकृतिक स्त्रोतों से जल श्राव कम हुआ है। जल संस्थान की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार पानी के स्त्रोत सूखने और कम रिचार्ज से नैनीताल, अल्मोड़ा और ऊधमसिंहनगर जिलों में चार सौ से अधिक गांव संकटग्रस्त श्रेणी में आ गए हैं। 

जिससे यहां संचालित 177 योजनाएं प्रभावित हुई हैं। बारिश न होने के चलते प्राकृतिक स्त्रोतों में जल श्राव कम हुआ है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 150 सालों में 300 से अधिक स्त्रोत सूख गए हैं और पिछले 50 सालों में स्त्रोतों के सूखने की गति दोगुनी हो गई  है।

जल संस्थान के अधिशासी अभियंता ने बताया कि शहर पानी की आपूर्ति के लिए 90 प्रतिशत ट्यूबवेल के पानी पर निर्भर है इसलिए प्राकृतिक स्त्रोतों में पानी के श्राव में कमी से ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। नैनीताल, रामनगर आदि क्षेत्र जो पानी की आपूर्ति के लिए ग्रेविटेशनल वाटर पर निर्भर हैं इसका प्रभाव वहां ज्यादा पड़ेगा।

सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता केएस बिष्ट ने बताया कि मंगलवार को मैक्सिमम डिस्चार्ज वाटर 110 क्यूसेक दर्ज किया गया जबकि पिछले साल से तुलना करें तो इस समय पर डिस्चार्ज वाटर 130 - 150 क्यूसेक रहता था। केएस बिष्ट ने बताया कि उनके पास गौलापार, कठघरिया, देवलचौड़ और लालकुंआ सहित चार सेक्शन हैं।

इन सेक्शनों से 400 क्यूसेक पानी की आपूर्ति होती है और यदि जल संस्थान को एक साथ 400 क्यूसेक पानी दिया जाए तो 70 - 75 क्यूसेक पानी शेष बचता है जिसे रोस्टर वाइज दिया जाता है। उन्होंने बताया कि भीषण गर्मी में डिस्चार्ज वाटर का स्तर 40 क्यूसेक तक गिर जाता है।