बरेली : चैत्र नवरात्रि 2023 की महानवमी आज, मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब, घर-घर कन्या पूजन व भोग

बरेली : चैत्र नवरात्रि 2023 की महानवमी आज, मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब, घर-घर कन्या पूजन व भोग

बरेली, अमृत विचार। चैत्र नवरात्रि 2023 का आज (गुरुवार, 30 मार्च 2023) समापन हो गया। मां दुर्गा सुख-समृद्धि लेकर इस बार नाव  पर सवार होकर आई थीं और हाथी पर सवार होकर प्रस्थान किया। रामनवमी के अवसर पर लोगों ने कन्याओं को उनकी देवी स्वरूप में पूजा कर उन्हें भोज कराया।

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चैत्र नवरात्रि पर्व के मौके पर लगातार नौ दिनों से श्रद्धालु  माता रानी की पूजा अर्चना में रंगा नजर आए। प्रतिदिन मंदिरों पर जलाभिषेक और विशेष पूजा अर्चना की गई। इस पर्व के अवसर पर बरेली के कालीबाड़ी स्थित मां कालीमंदिर मंदिर, साहूकार स्थित नव दुर्गा मंदिर, नेकपुर स्थित माता ललितादेवी मंदिर ,सुभाष नगर बदांयू रोड स्थित 84 घण्टा देवी मंदिर समेत अन्य देवी मंदिरों में विशेष पूजा आराधना का क्रम चला।

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अंतिम दिवस में रामनवमी पर कालीबाड़ी स्थित माता कालीमंदिर पर बड़ी संख्या में श्रद्वालु माता पूजन के लिए पहुंचे तथा हवन कर पूजा अर्चना की। यहां कन्याओं का पूजन भी किया गया। नेकपुर स्थित माता ललितादेवी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतार देखने को मिली। मेले में बच्चों व बड़ों के लिए सुंदर-सुंदर वस्तुओं की दुकानें आकर्षण का केंद्र रहीं।

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250 साल पुराना है कालीबाड़ी काली मंदिर
कालीबाड़ी में स्थित मां काली देवी का प्राचीन मंदिर सैकड़ों सालों से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है। नवरात्रि के दिनों में तो यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। दूर-दराज से आए हुए भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और पूजा-अर्चना कर मां का आशीर्वाद लेते हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन-पूजन से मां काली की कृपा भक्तों पर बरसती है और उनकी सभी मुरादें मां काली पूरी करती हैं। बरेली के कालीबाड़ी क्षेत्र में मां काली देवी का लगभग ढाई सौ साल पुराना प्राचीन मंदिर है। 

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वहां रहने वाले लोगों ने बताया कि लगभग ढाई सौ वर्ष पहले यहां गोबर की बनी प्रतिमा की पूजा होती थी। बताया जाता है कि एक बंगाली बाबा को मां काली देवी ने सपने में दर्शन दिए थे और मंदिर का निर्माण कराकर मां काली देवी की मूर्ति की स्थापना कराने को कहा था। इसके बाद बंगाली बाबा ने लोगों के सहयोग से मंदिर बनवाकर मां काली देवी की प्रतिमा स्थापित की। मां काली देवी के इस मंदिर में मन्नत का धागा बांधने की भी प्राचीन परंपरा है। यहां पर भक्त कच्चे धागे और चुनरी से गांठ बांधकर मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर इस गांठ को खोल देते हैं।

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अलौकिक शक्तियों का केंद्र है साहूकारा स्थित नवदुर्गा मन्दिर
साहूकारा स्थित नवदुर्गा मंदिर अलौकिक शक्तियों का केंद्र है। गोरक्षनाथ आश्रम से जुड़े इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1965 में ब्रह्मालीन महंत काशीनाथ ने की थी। मंदिर के महंत बताते हैं कि मां की कृपा से स्वप्न साकार हुआ है, जो नवदुर्गा मंदिर आएंगे वह मनवांछित फल पाएंगे, इसीलिए यहां 40 दिनों तक मंदिर की आरती में जो श्रद्धालु शामिल होते हैं, उनकी सभी मनोकामना मां पूरी करती हैं। नवरात्र में यहां भक्त कीर्तन करके अपना जीवन सफल बनाते हैं।

जानकारों के मुताबिक, महंत एक दिन भैरो मंदिर में विश्राम कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें स्वप्न में माता दुर्गा ने दर्शन देकर नौ देवियों की स्थापना कराने का आदेश दिया। इसके बाद उन्होंने मंदिर की स्थापना कराई। 14 दिन तक एक पैर पर खड़े रहकर उन्होंने तपस्या की। बसंत पंचमी के दिन मंदिर के पट खोले गए। विशाल भंडारा आयोजित करके श्रद्धालुओं को माता रानी का प्रसाद ग्रहण कराया जाता है।

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84 घंटा मंदिर
सुभाषनगर के बदायूं रोड पर स्थित 84 घंटा मंदिर चमत्कारी मंदिर माना जाता है। मान्यता है कि यहां पर दर्शन मात्र से ही सभी लोगों की मन की मुरादें पूरी होती हैं। मुराद पूरी होने पर भक्त देवी मंदिर में घंटा चढ़ाते है। 

इस मंदिर का निर्माण 1969 में किया गया था। जिस स्थान पर मंदिर बना है उसके पास स्वर्गीय उमाशंकर गर्ग ने मकान बनवाने के लिए यहां पर प्लाट लिया था। मकान बनने के लिए जब नींव खोदी जा रही थी तो उमाशंकर की पत्नी स्वर्गीय शकुंतला देवी के सपने में देवी मां आई और उन्होंने मकान बनवाने से पहले मंदिर बनाने की बात कही। शकुंतला देवी ने जब ये बात पति को बताई तो उमाशंकर ने पहले सड़क के किनारे दुर्गा मां के मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर में एक ही दिन में 84 घंटे चढ़ाए गए। जिसके कारण मंदिर का नाम 84 घंटा मंदिर पड़ा। तब से लेकर अब तक मंदिर में एक लाख से ज्यादा घंटे चढ़ चुके हैं। यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

देवी मंदिर में जल रही अखंड ज्योति
देवी मंदिर में 12 अक्टूबर 1969 को ज्योति जलाई गई थी। ये अखंड ज्योति अभी तक जल रही है। इसके साथ ही मंदिर में शिव परिवार, बजरंगबली की भी मूर्ति भी स्थापित हैं। मां दुर्गा मंदिर की ख्याति इस कदर फैली कि मंदिर में दर्शन के लिए बरेली ही नहीं कई प्रदेश से लोग यहां आते हैं और मनोकामना पूरी हो जाने पर मंदिर में घंटा चढ़ा जाते हैं।

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