हल्द्वानी: मौसम के बदलाव से स्थानीय फसलों पर दिखा असर
जून में तैयार होने वाली पौध को मई में ही कृषकों ने तैयार कर ली
आम और लीची के स्वाद के लिए करना होगा इंतजार
हल्द्वानी, अमृत विचार। मौसम में आए परिवर्तन के चलते इसका प्रभाव स्थानीय फसलों पर भी दिखाई पड़ रहा है। आम और लीची का स्वाद चखने के लिए लोगों को अभी इंतजार करना पड़ेगा। वहीं बिना मानसून हुई बारिश से जुलाई और अगस्त में आने वाली सब्जियां इस बार जून में ही उपलब्ध हो जाएंगी।
बीते 1 साल से मौसम में अनियमितता बनी हुई है। मानसून के हिसाब से जरूरत के अनुसार बारिश नहीं हुई है। दूसरी ओर अप्रैल और मई माह में बारिश जैसे हालात देखने को मिल रहे है। इसका सीधा असर फल एवं सब्जियों के उत्पादन पर भी पड़ रहा है। आम और लीची के फलों को तैयार होने में अधिक समय लग रहा है।
किसानों के बागानों में आम के बौर अभी तक बने हुए है। लेकिन पिछले वर्ष अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में इसका असर खत्म हो जाता था। इसके असर को खत्म करने के लिए कड़ी धूप की जरूरत होती है। लेकिन अभी तक इस वर्ष तापमान में जरूरत के हिसाब से वृद्धि नहीं देखी गई है। सब्जियों के उत्पादन एक महीने पहले ही शुरू हो गई है। जून में तैयार होने वाले बैंगन, भिंडी, खीरा, कोहड़ा, करेला, लौकी की पौध मई में ही किसानों ने तैयार कर ली हैं।
धान एवं मक्का की फसलों पर भी असर
मौसम में परिवर्तन का प्रभाव आगे उत्पादन की जाने वाली फसलों पर भी पड़ने का अनुमान है। जून में धान एवं मक्का के साथ ही सोयाबीन, भट और उड़द दाल की बुवाई होने वाली है। कृषि जानकारों के मुताबिक बिना मानसून की हुई बरसात होने से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है।
आमतौर पर सब्जियों की खेती के लिए मई में ही अनुकूल वातारण बन गया है। जिससे कृषकों ने बुवाई शुरू कर दी है। इस स्थिति में बाद में होने वाली खेती पर भी असर पड़ सकता है। -डॉ. चंद्रेश्वर तिवारी, प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र
