भरोसा जीतना जरूरी

भरोसा जीतना जरूरी

मणिपुर में स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है और यह चिंताजनक बात है। मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन द्वारा आहूत ‘आदिवासी एकता मार्च’ में हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में 60 से अधिक लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग विस्थापित हुए थे।

मणिपुर उच्च न्यायालय ने गैर-जनजातीय मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की 10 वर्ष पुरानी अनुशंसा पर आगे की कार्रवाई करने के राज्य सरकार को निर्देश दिए थे। बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि राजनीतिक मशीनरी मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर आंखें न मूंदे। साथ ही शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को मणिपुर में हिंसा प्रभावित लोगों की सुरक्षा, राहत एवं पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों पर अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया। केंद्र और राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि एक स्थिति रिपोर्ट दायर की गई है और राज्य में स्थिति में सुधार हुआ है। 

मणिपुर में हिंसा के दौरान पांच जिलों में जिस तेजी से बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ, लोगों की जान चली गई, घरों, चर्चों, मंदिरों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई, वह राज्य में लंबे समय से चली आ रही पहाड़ी और घाटी की पहचान के विभाजन का नतीजा हो सकता है, लेकिन इसे टाला भी जा सकता था। अगर राज्य सरकार ने तत्परता से काम किया होता और इस धारणा को पैदा नहीं होने दिया होता कि वह एक प्रमुख समुदाय के प्रति पक्षपाती है, तो यह स्थिति नहीं बनती। यानि यह विरोध आदिवासी समूहों द्वारा राज्य सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैए के खिलाफ बढ़ते असंतोष का भी नतीजा था। केंद्र सरकार को हरसंभव प्रयास करना चाहिए जिससे राज्य में सामान्य स्थिति बहाल हो सके।

शांति सुनिश्चित करने में हर समुदाय को योगदान करना है, अत: सभी लोगों को भरोसे में लिया जाए। सरकार को क्षेत्र के लोगों में स्वामित्व और अपनेपन की भावना को बढ़ावा देने के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए। सरकार मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हाल की हिंसा एवं अशांति के कारणों और परिणामों का परीक्षण करे। सभी हितधारकों की शिकायतों को दूर करने और पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति एवं सद्भाव बहाल करने के लिए विभिन्न समितियों द्वारा दी गई अनुशंसाओं के अनुसार मैतेई समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति दर्जे के मानदंड का मूल्यांकन करने की भी आवश्यकता है। 

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