भारत विरोधी दुष्प्रचार
पाकिस्तान घरेलू विफलता से ध्यान भटकाने के लिए भारत के विरुद्ध लगातार दुष्प्रचार कर रहा है। पाकिस्तान की ओर से छेड़े गए सूचना युद्ध के कारण भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के साथ तथ्यात्मक सूचना प्रसार के संतुलन संबंधी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर ‘गैर कानूनी रूप से भारत के अधीन जम्मू और कश्मीर’ नाम से एक अलग सेक्शन है, जहां भारतीय सेना को कश्मीरी जनता के लिए खतरा बताते हुए कई भ्रामक और झूठी सामग्री पोस्ट की गई है। अभी तक, भारत ने आक्रामकता और सक्रियता की बजाय प्रतिरोध और बचाव की रणनीति अपनाई है।
गौरतलब है कि अगस्त 2019 में भारत के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के फैसले के बाद पाकिस्तान की ओर से ज्यादा सक्रिय रूप से भारत विरोधी दुष्प्रचार अभियान चलाया गया। पाकिस्तान भारत के सूचना तंत्र को अस्थिर करने के लिए कई झूठे साधनों का सहारा लेते हुए दुष्प्रचार अभियान चलाता है। जहां आधिकारिक पाकिस्तानी सोशल मीडिया हैंडल, आईटी सेल, ट्रोल अकाउंट के जरिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर भ्रामक सूचनाएं फैलाई जाती हैं।
सूचना समाज और मानवीय संबंधों के हर पहलू में एक अनिवार्य भूमिका निभा रही है। इसलिए युद्ध की एक कला के रूप में भी उपयोग किया जाता है, जहां खुफिया और साइबर जासूसी के माध्यम से एकत्र की गई जानकारी का मूल्यांकन किया जाता है और गलत सूचना अभियान, प्रचार, नकली समाचारों के माध्यम से हेरफेर किया जाता है । सूचना युद्ध में डिजिटल और सोशल मीडिया के माध्यम से राजनीतिक विमर्श, जनमत और सामाजिक परंपराओं को प्रभावित या नियंत्रित करने के लिए विभिन्न रणनीतियों और तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
ऐसे में दुष्प्रचार अभियानों और सूचना युद्ध को जीतने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है। सूचना युद्ध के खिलाफ़ भारत को ठोस जवाबी उपाय ढूंढने होंगे। भारत को अपनी मौजूदा सूचना सुरक्षा और क्रिप्टोग्राफी तकनीकों को मजबूत करना होगा। भारत को रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के लिए सॉफ्टवेयर और अन्य हार्डवेयर घटकों को स्वदेशी रूप से विकसित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में प्रसारित होने वाली गलत सूचनाओं की निगरानी के लिए मजबूत सुरक्षा संरचना और निगरानी प्रणाली के माध्यम से सूचना सुरक्षा को बढ़ाना चाहिए।
हालांकि भारत ने दुष्प्रचार का मुकाबला करने और डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के लिए ‘सत्यमेव जयते’, प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान और राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से बचाव संबंधी उपाय किए हैं। फिर भी साइबरस्पेस में कमजोर प्रवेश बिंदुओं को कम करने के लिए आवश्यक उपाय करना चाहिए।
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