मदरसा नियुक्ति फर्जीवाड़े में प्रधानाचार्य समेत तीन पर FIR, मृतक आश्रित कोटे में दो बार लॉक डाउन में की गई नियुक्ति
फोरेंसिक जांच में मिला फर्जी शपथ पत्र, पुलिस की जांच शुरू
लखनऊ, अमृत विचार: प्रदेश के बलरामपुर जिले में मदरसा जामिया अनवारूल उलूम, तुलसीपुर में कनिष्ठ सहायक की नियुक्ति को लेकर सामने आया फर्जीवाड़ा अब गंभीर प्रशासनिक लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है। लॉकडाउन जैसी आपात अवधि में की गई इस नियुक्ति ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। 25 मई 2020 को मो. हसन रजा को मदरसा जामिया अनवारूल उलूम में सहायक शिक्षक आलिया के पद पर नियुक्त किया गया। नियुक्ति के दौरान प्रस्तुत शपथ पत्रों की प्रामाणिकता पर संदेह हुआ, जिसके बाद पूरे मामले की जांच शुरू हुई।
बलरामपुर के तुलसीपुर थाने में जिला अल्पसंख्यक अधिकारी यशवंत मौर्या ने तहरीर दी। जिसमें बताया कि मो. हसन रजा की नियुक्ति 25 मई 2020 को मदरसा जामिया अनअवारूल उलूम में सहायक शिक्षक आलिया के पद पर हुई। उनके द्वारा जमा किये गये दस्तावेज पूरी तरह से संदेहास्पद दिखे। जिसकी जांच कराई गई। मो. हसन रजा ने दो शपथ पत्र दिये। जिसमें एक को खुद ही फर्जी बताया। जांच में सामने आया कि पहले शपथ पत्र में हसन रजा के पास आवश्यक योग्यता न होने की बात कही गई थी, जबकि बाद में दिए गए दूसरे शपथ पत्र में पहले को फर्जी बताया गया। इस विरोधाभास ने मामले को और संदिग्ध बना दिया।
फोरेंसिक रिपोर्ट में खुलासा, हस्ताक्षर मेल नहीं खाते
विधि विज्ञान प्रयोगशाला (फोरेंसिक) से कराई गई जांच में यह स्पष्ट हुआ कि विवादित शपथ पत्र पर किए गए हस्ताक्षर मो. हसन रज़ा के वास्तविक हस्ताक्षरों से मेल नहीं खाते। रिपोर्ट के अनुसार, यह फर्जी शपथ पत्र मदरसे के लिपिक अजीज अहमद अंसारी द्वारा अपने हाथ से लिखा गया था। खुलासे के बाद मदरसा प्रधानाचार्य मेराज अहमद, लिपिक अजीज अहमद अंसारी सहित अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।
दो बार मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति का आरोप
मामले में यह भी आरोप है कि एक ही व्यक्ति को दो बार मृतक आश्रित कोटे में नियुक्त किया गया। यह गंभीर अनियमितता तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी पवन कुमार सिंह और तत्कालीन रजिस्ट्रार मदरसा बोर्ड आरपी सिंह की भूमिका पर सवाल खड़े करती है। हालांकि शासन के पत्रों में विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए हैं, लेकिन अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
11 करोड़ मिड-डे मील घोटाले से जुड़ता कनेक्शन
बता दे कि 11 करोड़ रुपये के मिड-डे मील गबन के आरोप में बलरामपुर जेल में बंद अहमदुल कादरी पचपेड़वा इस मदरसे का भी प्रबंधक रहा है। आरोप है कि उसी के संरक्षण में प्रधानाचार्य, लिपिक और अन्य लोग मिलकर सरकारी धन के गबन और फर्जीवाड़े का नेटवर्क चला रहे थे। इस मामले को उजागर करने वाले जनहित याचिकाकर्ता मो. इमरान का कहना है कि यदि अहमदुल कादरी और अज़ीज़ अहमद से जुड़े सभी मदरसों की निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो कई और बड़े घोटालों का खुलासा हो सकता है।
