सात प्रतिशत से भी अधिक रह सकती है वृद्धि दरः आरबीआई गवर्नर

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Published By Om Parkash chaubey
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को वित्त वर्ष 2022-23 में वृद्धि दर सात प्रतिशत के अग्रिम पूर्वानुमान से भी अधिक रहने की उम्मीद जतायी। उन्होंने कहा कि तीसरी और चौथी तिमाहियों में आर्थिक गतिविधियों के तेज रहने से ऐसा होने की संभावना है। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) ने गत फरवरी में जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में कहा था कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहेगी। वित्त वर्ष 2021-22 में यह 8.7 प्रतिशत रही थी।

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दास ने यहां उद्योग मंडल सीआईआई के सालाना कार्यक्रम में कहा, "संभावना है कि वृद्धि दर इस अनुमान से भी अधिक रह सकती है। अगर पिछले वित्त वर्ष की जीडीपी वृद्धि सात प्रतिशत से अधिक रहती है तो कोई अचरज नहीं होगा।" गत 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2022-23 की वृद्धि के बारे में अस्थायी वार्षिक अनुमान 31 मई को जारी किए जाएंगे।

दास ने वृद्धि दर अधिक रहने की संभावना के पीछे की वजह बताते हुए कहा, "तीसरी तिमाही में ऐसा लगा था कि रुकी हुई मांग आने से आर्थिक गतिविधियों को समर्थन मिल रहा है। लेकिन चौथी तिमाही में सभी आर्थिक संकेतकों से यही लगा कि आर्थिक गतिविधियों ने तेजी पकड़ ली है।" उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की निगरानी में शामिल लगभग सभी 70 संकेतकों ने चौथी तिमाही में तेजी की रफ्तार कायम रहने के संकेत दिए।

उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति में अगर वृद्धि दर सात प्रतिशत से थोड़ी अधिक रहती है तो हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए।" जहां तक चालू वित्त वर्ष का सवाल है तो आरबीआई ने इस साल वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई गवर्नर ने नीतिगत ब्याज दर में वृद्धि का सिलसिला रोकने की मांग पर कहा कि ऐसा करना उनके हाथ में नहीं है क्योंकि यह जमीनी स्थिति पर निर्भर करता है।

अप्रैल में आरबीआई ने प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखते हुए सभी को हैरान कर दिया था। इससे पहले केंद्रीय बैंक मई, 2022 से रेपो दर में ढाई प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है। दास ने कहा कि आगामी मौद्रिक समीक्षा बैठकों में नीतिगत दर में बढ़ोतरी नहीं करने संबंधी सुझाव आरबीआई के पास आए हैं लेकिन ऐसा कर पाना उनके हाथ में नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यह जमीनी स्थिति पर निर्भर करता है।

जो कुछ उस समय हो रहा है मुझे उसके हिसाब से फैसला करना है। यह देखना है कि रुझान क्या है। क्या मुद्रास्फीति बढ़ रही है या नरम हुई है।’’ इसके साथ ही गवर्नर ने कहा कि जहां तक अप्रैल की मौद्रिक समीक्षा के दौरान रेपो दर में वृद्धि पर लगाम लगने का सवाल है तो उसे एक विराम के तौर पर ही देखा जाना चाहिए, वह कोई नजीर नहीं है।

उन्होंने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति नरम हुई है लेकिन अभी इस मोर्चे पर कोताही बरतने की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति के अगले आंकड़े में महंगाई दर 4.7 प्रतिशत से नीचे रहने की उम्मीद है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 4.7 प्रतिशत रही थी।

दास ने उपस्थित लोगों को भरोसा दिलाया कि पूंजी, नकदी की मजबूत स्थिति और संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार के साथ भारतीय बैंकिंग प्रणाली स्थिर और मजबूत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक देश की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अर्थव्यवस्था को पूरा समर्थन देगा। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने अपने अब तक के अनुभव के आधार पर केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) ढांचे को और बेहतर किया है।

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