हल्द्वानी: तराई-भाबर के जंगलों में 1 हजार हेक्टेयर पर गोठ-गूर्जर खत्ते काबिज

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। तराई भाबर के जंगलों में 1 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर गोठ-गूर्जर खत्ते काबिज हैं। राज्य सरकार के जंगलों से अतिक्रमण हटाने के आदेश के बाद वन अधिकारियों को खासी मशक्कत व माथापच्ची करनी पड़ेगी। हालांकि वन विभाग रणनीति बनाने में जुट गया है। 

वन विभाग के अनुसार, पश्चिमी वन वृत्त के जंगल नैनीताल, ऊधम सिंह नगर और चंपावत जिलों में फैले हुए हैं। इसमें पांच वन डिवीजन तराई केंद्रीय, तराई पश्चिमी, तराई पूर्वी, रामनगर और हल्द्वानी वन डिवीजन आती है। इनमें कुल 3 टोंगिया गांव लेटी, चोपड़ा, रामपुर, 47 गोठ खत्ते व 197 गूर्जर खत्ते शामिल हैं।  

- दोनों किस्मों के खत्ते मिलाकर करीब 1 हजार हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा है। इधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कर दिया है कि जंगलों में धार्मिक अवस्थापनाओं के नाम पर वन भूमि नहीं कब्जाने दी जाएगी। इन अतिक्रमण को हटाकर जंगलों को पुराने स्वरूप में लाया जाएगा। इसी क्रम में वन विभाग ने टोंगिया गांव, गोठ खत्ते व गूर्जर खत्तों को भी हटाने की तैयारी थी हालांकि राज्य सरकार ने टोंगिया गांव व गोंठ खत्तों को इससे राहत दे दी है। अब जंगलों से खत्तों को हटाने को लेकर वन अधिकारियों के माथे पर बल पड़ गए हैं। जंगलों में वन विभाग को खासा विरोध झेलना पड़ सकता है। ऐसे में सभी वन अफसर सरकार की इस मंशा को पूरा करने के लिए योजना बनाने में जुट गए हैं। 

- डॉ. पराग मधुकर धकाते, मुख्य वन संरक्षक/नोडल अधिकारी अतिक्रमण हटाओ अभियान 

जंगलों में नहीं कर सकते हैं खेती 
वन अधिकारियों के अनुसार जंगलों में गैर वानिकी काम नहीं हो सकते हैं। जंगलों में सिर्फ दुधारू पशुओं के लिए घास, मौन पालन वगैरह काम हो सकता है लेकिन गैर वानिकी काम खेती बाड़ी नहीं हो सकती है। बावजूद इसके जंगलों में रहने वाले इस नियम की धज्जियां उड़ाकर धड़ल्ले से खेती  करते हैं। 

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