नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ के खिलाफ सुनवाई पर जताई सहमति

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Published By Priya
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काठमांडू। नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ के खिलाफ उनकी अगुवाई वाले माओवादी आंदोलन के दौरान माओवादी सैनिकों के तौर पर बच्चों के उपयोग से जुड़ी एक रिट याचिका पर सुनवाई करने को लेकर सहमति जताई। ‘प्रचंड’ विद्रोही नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के तत्कालीन अध्यक्ष थे और उन पर राजशाही के खिलाफ चली लंबी लड़ाई में माओवादी सैनिकों के रूप में बच्चों का उपयोग करने का आरोप है।

 पूर्व बाल सैनिक लेनिन बिस्टा ने शीर्ष अदालत में एक रिट याचिका दायर की है, जिसमें दावा किया गया कि तत्कालीन नेतृत्व ने नेपाल की राजशाही के खिलाफ माओवादियों की लड़ाई में बाल सैनिकों का उपयोग करके अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन किया। याचिकाकर्ता ने प्रचंड और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ बाबूराम भट्टाराई सहित तत्कालीन सीपीएन-एम के नेतृत्व के खिलाफ मुकदमा चलाने का अनुरोध किया है।

 याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि उनके जैसे नासमझ नाबालिगों को बाल सैनिकों के रूप में उपयोग करना एक युद्ध अपराध था। उच्चतम न्यायालय के सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को न्यायमूर्ति डॉ आनंद मोहन भट्टाराई की अगुवाई वाली एकल पीठ ने रिट याचिका पर सुनवाई को लेकर सहमति जताई। इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने बिस्टा की रिट याचिका खारिज कर दी थी। याचिका खारिज किए जाने को उन्होंने फिर से शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी। 

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