प्रयागराज : कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत पुरुष संविदा कर्मियों की नियुक्ति पर लगी रोक
अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में संविदा पर नियुक्त लेखाकारों की सेवा की निरंतरता बनाए रखने का आदेश देने के साथ-साथ अगली तारीख तक उनकी नियुक्ति पर रोक लगा दिया है। कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने संबंधित विभाग द्वारा जारी परिपत्र को पूरी तरह से गलत पढ़ा है। अगर इसे कायम रहने दिया गया तो यह समानता के नियम के प्रतिकूल होगा और पूरी तरह से मनमाना तथा भेदभावपूर्ण माना जाएगा, क्योंकि इसका छात्राओं की सुरक्षा से कोई सीधा संबंध नहीं है।
कार्यालय कर्मचारी होने के नाते लेखाकार संबंधित स्कूलों में पढ़ने और रहने वाली छात्राओं की सुरक्षा के लिए किसी तरह जिम्मेदार नहीं हैं। छात्राओं से उनकी बातचीत भी सीमित ही होती है। इसके साथ ही याचियों के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि किसी भी याची का कोई अपराधिक इतिहास नहीं है जो याची को अकाउंटेंट के रूप में उनकी नियुक्ति जारी रखने से वंचित कर सकता है। इस पृष्ठभूमि पर मामले पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की एकलपीठ ने बस्ती निवासी महेंद्र कुमार उपाध्याय व 11 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने सभी उत्तर दाताओं को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है। इसके बाद याचियों के पास प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है। वर्तमान मामले को 3 जुलाई से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध किया गया है। मालूम हो कि राज्य सरकार द्वारा दिनांक 20 अप्रैल 2023 को जारी सरकारी आदेश और राज्य परियोजना, निदेशक (समग्र शिक्षा), यूपी, लखनऊ द्वारा जारी परिपत्र को चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि वह राज्य के विभिन्न जिलों के विभिन्न ब्लॉकों में स्थापित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में लेखाकार के पद पर कम से कम 10 वर्षों से कार्यरत हैं। उनकी नियुक्ति संविदा पर हुई है, लेकिन अब उनकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा जारी परिपत्र द्वारा रद्द की जा रही है, क्योंकि उक्त परिपत्र में प्रावधान है कि वार्डन/प्रभारी शिक्षक/ निवासी शिक्षक और गर्ल्स हॉस्टल में काम करने वाले या उसकी देखभाल करने वाले अन्य सभी कर्मचारी केवल महिला लिंग से संबंधित होने चाहिए। वर्तमान याची अकाउंट के पद के रूप में कार्यरत हैं। अतः उन पर उक्त आदेश लागू नहीं होता है।
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