लखनऊ: फाइलेरिया से बचाव के लिए डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने की एमडीए अभियान की शुरुआत

8 करोड़ लाभार्थियों को खिलाई जायेगी फाइलेरिया रोधी दवाएं

लखनऊ: फाइलेरिया से बचाव के लिए डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने की एमडीए अभियान की शुरुआत

अमृत विचार, लखनऊ। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत फाइलेरिया को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने गुरुवार को मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम का शुभारंभ किया। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने खुद फाइलेरिया की दवा खाकर लोगों को जागरूक किया। वहीं इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी उपस्थिति रहे। प्रदेश के फाइलेरिया से प्रभावित 27 जिलों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस दौरान स्वास्थ्यकर्मी प्रदेश के 17 जिलों में दो दवा डीईसी और एल्बेन्डाजोल खिलाएंगे और बाकी के 10 जिलों में तीन दवाएं डीईसी, एल्बेन्डाजोल और आईवरमेक्टिन खिलाई जायेंगी।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि इस अभियान में प्रदेश की 8 करोड़ 23 लाख लोगों को 65 हजार टीमों के माध्यम से फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन बूथ और घर-घर जाकर कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि हमें फाइलेरिया के उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है,क्योंकि यह व्यापक रूप से जनता के स्वास्थ्य और विकास से जुड़ा हुआ हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश सरकार फाइलेरिया उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए प्रदेश में सभी तैयारियां की जा चुकी हैं। 

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इस दौरान डिप्टी सीएम ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के सभी लाभार्थियों से अनुरोध किया कि नि:शुल्क फाइलेरिया रोधी दवाओं को स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाएं। साथ ही उन्होंने कहा कि हम सभी जन प्रतिनिधियों, ग्राम प्रधानों, अध्यापकों और अन्य विभागों को समुदाय में इस अभियान के प्रति जन-जागृति लानी होगी ताकि प्रत्येक लाभार्थी स्वयं और अपने परिजनों को इन दवाओं का सेवन अवश्य कराएं, जिससे वह उस बीमारी से सुरक्षित रहे और भारत सरकार द्वारा निर्धारित वर्ष 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। 

घर-घर जाकर अपने सामने खिलाएंगे स्वास्थ्यकर्मी

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ पिंकी जोवेल ने बताया कि इस अभियान में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाईयों की निर्धारित खुराक मुफ्त में बूथ और घर-घर जाकर प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी अपने सामने खिलाएंगे और किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा। साथ ही ये दवाएं खाली पेट नहीं खानी हैं।

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रैपिड रेस्पोंस टीम रहेगी तैनात

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ की महानिदेशक डॉ दीपा त्यागी ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। यदि कार्यक्रम के दौरान किसी लाभार्थी को दवा सेवन के पश्चात किसी प्रकार की कोई कठिनाई प्रतीत होती है तो उससे निपटने के लिए हर ब्लॉक में रैपिड रेस्पोंस टीम बनाई गई है।

फाइलेरिया का उन्मूलन संभव

निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ (चिकित्सा उपचार/ संचारी रोग) डॉ कैलाश नाथ तिवारी ने कहा कि संक्रमित मच्छर के काटने से किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। जिससे उनकी आजीविका और काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। अगर सभी लोग 5 साल तक लगातार साल में केवल 1 बार फाइलेरिया रोधी दवाओ का सेवन करे तो प्रदेश से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है।

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फाइलेरिया से प्रभावित 27 जिलें

औरैया, बहराइच , बलरामपुर, बस्ती, देवरिया, इटावा, फरुखाबाद, गाजीपुर,, गोंडा, गोरखपुर, कन्नौज, कुशीनगर, महाराजगंज, रायबरेली, संतकबीर नगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और सुल्तानपुर (डीईसी और एल्बेन्डाजोल)

चंदौली,  फतेहपुर, , हरदोई,  कानपुर देहात, कानपुर नगर,  कौशाम्बी, खीरी, मिर्जापुर, सीतापुर, हरदोई (डीईसी, एल्बेन्डाजोल और आईवरमेक्टिन)

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण व मातृ एवं शिशु कल्याण राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ पिंकी जोवेल, अपर निदेशक वेक्टर बोर्न डिजीज़ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, डॉ बी पी सिंह कल्याणी, राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ वी पी सिंह समेत कई अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

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