बरेली: कुतुबखाना के व्यापारियों की सीधी बात, दुकानें नहीं करेंगे बंद...8/16 का दिया फॉर्मूला

बरेली: कुतुबखाना के व्यापारियों की सीधी बात, दुकानें नहीं करेंगे बंद...8/16 का दिया फॉर्मूला

बरेली, अमृत विचार। कुतुबखाना ओवरब्रिज का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए ढाई महीने तक बाजार बंद कराने के लिए प्रशासन की कोशिश ने स्थानीय व्यापारियों में नया उबाल ला दिया है। व्यापारियों ने इतने लंबे समय के लिए दुकानें बंद करने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर जबरन बाजार बंद कराने का प्रयास किया गया तो वह भूख हड़ताल के साथ जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे। 

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दरअसल, सिर्फ छह महीने में काम पूरा करने का वादा करके शुरू किया गया कुतुबखाना पुल का निर्माण अब व्यापारियों के लिए बेहद संवेदनशील मोड़ पर पहुंच गया है। बताते चलें कि निर्माण कार्य की शुरुआत हुए एक साल हो बीत है, लेकिन अब भी काफी निर्माण कार्य शेष है। इस बीच सुरक्षा इंतजामों की अनदेखी कर जल्दबाजी में निर्माण के चलते हुए हादसों में एक मजदूर और ठेकेदार की जान जा चुकी है। वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों का अफसरों पर दबाव है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले हर हाल में ओवरब्रिज का निर्माण पूरा कर लिया जाए। 

लेकिन कोतवाली से कोहाड़ापीर तक भारी आवाजाही के चलते फिलहाल जिस रफ्तार से निर्माण हो रहा है, उससे चुनाव तक पूरा हो पाने की गुंजाइश कम ही दिख रही है। इस बीच प्रशासन की ओर से ढाई महीने के लिए बाजार बंद कराकर पुल का निर्माण तेज गति से करने की कोशिश शुरू कर दी गई है, जिसकी वजह से बाजार में फिर माहौल गर्म होने लगा है। इसको लेकर स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि अभी तो वह कोरोना की मार से भी नहीं उभर पाए हैं, क्योंकि पुराने कर्ज का बोझ उन पर लदा हुआ है। 

वहीं इस बीच प्रशासन के ढाई महीने तक दुकानें बंद रखने के फरमान ने उनकी नींद हराम कर दी है। अगर ऐसा हुआ तो हजारों दुकानदारों के साथ दुकानों में काम करने वाले कई हजार मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट आ जाएगा। ऐसे में स्थानीय दुकानदारों का सुझाव है कि चौबीस घंटे में सुबह दस से शाम छह बजे तक आठ घंटे समय दुकानें खोलने के लिए उन्हें दिया जाए, साथ ही बकाया सोलह घंटे पुल निर्माण का कार्य आसानी से किया जा सकता है, क्योंकि इस वक्त आवाजाही भी कम रहती है।

अगर ऐसा भी करना संभव न हो तो दुकानदारों और दुकानों पर काम करने वाले सभी मजदूरों के परिवारों के लिए सरकार भरण-पोषण का खर्चा दे। अगर ऐसा नहीं किया गया तो वह दुकानें बंद कराने के फैसले का पुरजोर विरोध करते हुए जेल भरो आंदोलन करेंगे।

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