चिंता - हल्द्वानी में 18 साल बाद पानी की मांग होगी दोगुनी, कैसे होगी भरपाई
हल्द्वानी,अमृत विचार। नगर निगम सभागार में शुक्रवार को उत्तराखंड प्रशासनिक अकादमी की कार्यशाला में शहर की मुख्य समस्याओं को लेकर विभिन्न विभागों कर्मचारियों की उपस्थिति में चर्चा हुई। इसमें सीवर सिस्टम, स्ट्रांग वॉटर प्रबंधन, कूड़ा निस्तारण, कूड़ा प्रबंधन, यातायात प्रबंधन और सड़क प्रबंधन समेत कई समस्याओं को लेकर प्रशासनिक अकादमी के प्रोग्राम निदेशक मनोज पांडेय की अगुवाई में कार्यशाला संपन्न हुई।
कार्यशाला के दौरान शहर के विस्तारीकरण को देखते हुए भविष्य की योजनाओं पर काम करने पर जोर दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि कुमाऊं के प्रमुख शहर हल्द्वानी की जनसंख्या हर साल बढ़ रही है। यहां पहाड़ के साथ ही दूसरे राज्यों से आकर भी लोग बस रहे हैं। आने वाले समय में उनको बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना चुनौती होगा। 10 साल पहले ही हल्द्वानी नगर क्षेत्र का दायरा आधिकारिक तौर पर बढ़ाकर करीब तीन गुना कर दिया गया था। मौजूदा शहर में भी तेजी के साथ आबादी बढ़ रही है। कार्यशाला में समस्याओं पर चर्चाएं की गईं।
पेयजल-शहर के विस्तारीकरण के साथ ही पेयजल की उपलब्धता एक प्रमुख समस्या बना हुई है। शहर के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां आज भी जल संस्थान नियमित तौर पर पेयजल की आपूर्ति नहीं कर पाता है तो वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो पूरी तरह से टैंकर के पानी पर ही निर्भर हैं। वहीं शहर की बढ़ती पानी की मांग को लेकर भी चिंता जताई गई। कार्याशाला में बताया कि 2041 तक हल्द्वानी में पानी की मांग दोगुनी तक पहुंच जाएगी। इसके लिए स्ट्रांग वॉटर प्रबंधन की सख्त आवश्यकता है। बारिश के पानी के संरक्षण के साथ ही अन्य विकल्पों को तलाश करना भी जरूरी है।
ड्रैनेज सिस्टम-बारिश के सीजन में नालियों से जल निकासी न होने के चलते सड़कों पर होते जलभराव की समस्या से यहां की जनता को सामना करना पड़ता है, इसके लिए नालियों का मानक के अनरूप निर्माण न होना भी मुख्य वजह बनी हुई है। इसमें बताया गया कि नालियों के निर्माण के समय कई इलाकों में नालियों के ढाल को ठीक प्रकार से नहीं बनाया गया हैं। नालियों में लगे लोहे के जाल के चलते कूड़ा व मलबा जमा होने से नालियां चोक हो जाती और बारिश के समय ओवरफ्लो होने के चलते सड़कों पर जलभराव की स्थिति बन जाती हैं।
यातायात-शहर की सड़कों में बढ़ती वाहनों की संख्या के साथ सड़क पर जाम की स्थिति भी बनी रहती है। इसके लिए कार्यशाला में पब्लिक ट्रांसफोर्ट पर जोर दिया गया जिसमें बताया कि पूर्व में पब्लिक ट्रांसफोर्ट के लिए शहर की 6 रूट पर बस सेवा सर्विस के लिए सर्वे किया गया था। जिसमें निर्धारित अंतराल पर बसों का ठहराव, शहर की मुख्य सड़कों का चिन्हीकरण समेत अन्य कार्य शामिल थे। वहीं, हल्द्वानी से नैनीताल के लिए शटल बस सेवा के लिए जोर दिया गया।
कूड़ा निस्तारण-ट्रंचिंग ग्राउंड में बढ़ते कचरे के ढेर को लेकर चिंता जताई गई। इसमें बताया गया कि नैनीताल जिले समेत अन्य इलाकों से पहुंचने वाला कचरा नियमित तौर पर 400 मीट्रिक टन कूड़ा डंप हो रहा हैं। जिसके निस्तारण के लिए नगर निगम की ओर से एक कंपनी को लीगेसी वेस्ट प्लांट का ठेका दिया गया है, लेकिन कचरा निस्तारण की सुस्त गति होने से कचरे का ढेर बढ़ता ही जा रहा है। आने वाले दिनों में कूड़ा निस्तारण में तेजी न लाई गई तो कूड़े का पहाड़ बनना तय है।
कार्यशाला में लोक निर्माण विभाग, यातायात विभाग, नगर निगम व जल संस्थान विभाग के कर्मचारियों ने सहभागिता की। इस मौके पर संयुक्त निदेशक प्रकाश चंद्र, सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज कांडपाल समेत अन्य कर्मी उपस्थित रहे।
