अल्मोड़ृा: पर्याप्त बारिश नहीं होने से रबी की फसल पर संकट गहराया 

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Published By Bhupesh Kanaujia
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अल्मोड़ा, अमृत विचार। लगातार बदल रहे मौसम का असर अब पर्वतीय जिलों की खेती पर भी दिखने लगा है। अक्टूबर में वर्षा नहीं होने तथा नवंबर में आंशिक तौर पर कुछ ही स्थानों पर वर्षा होने से रबी की फसल पर असर पड़ा है। खेतों में पर्याप्त तौर पर गेहूं, जौ व अन्य फसलें समान रूप से नहीं उग पाई हैं। इसका असर फसल उत्पादन पर पड़ने की संभावना है। मौसम के इस बदले मिजाज और खेती पर पड़ रहे विपरीत असर के कारण अब किसानों के माथे पर पसीना दिखने लगा है। 

अल्मोड़ा जिले में 22,302 हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबी फसल की बुआई की गई है। नवंबर में गेहूं, जौ आदि की बुआई के बाद तो जिले के कुछ ही क्षेत्रों में आंशिक तौर पर वर्षा हुई। इससे कुछ नमी वाले इलाकों में गेहूं उगा तथा अन्य क्षेत्रों में गेहूं व जौ व अन्य फसलें आधी अधूरी ही उग पाई। वर्षा नहीं होने से गेहूं व जौ की पौध पीली पड़ने लगी है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार रबी की फसल को बोआई के बाद दिसंबर तक कम से कम 40 मिलीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है। मगर इस बार ऐसा नहीं हो पाया।

इस बार नवंबर माह में अल्मोड़ा व इसके आसपास के कुछ क्षेत्रों में 16 मिलीमीटर वर्षा हो पाई। जिले में रबी की फसल के कुल कृषि क्षेत्र का सिर्फ 10 प्रतिशत ही सिंचाई सुविधा से जुड़ा है, बाकि 90 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा के जल पर ही निर्भर है। पूरे रबी सीजन में इस फसल को कम से कम 300 मिलीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है, जो अब तक मात्र 16 मिलीमीटर ही हो पाई है। वर्षा नहीं होने से केवल फसल पर ही असर नहीं पड़ रहा बल्कि काश्तकारों की ओर से बोई गई सब्जियों पर भी पड़ा है। काश्तकार बोई गई सब्जियों को सिंचाई के माध्यम से बचाने में लगे हैं।

बारिश ना होने का सीधा असर उत्पादन पर भी पड़ा है। मुख्य कृषि अधिकारी आनंद गोस्वामी का कहना है कि रबी की फसल की बोआई के दौरान जिन क्षेत्रों में नमी थी। उन क्षेत्रों में रबी की फसल समान तौर पर उगी। जिन क्षेत्रों में जीवाश्म खाद का उपयोग कम होता है वहां नमी कम रहने से फसल समान रूप से नहीं उग पाई। बुआई के बाद आवश्यकता अनुसार वर्षा नहीं होने से कम नमी वाले क्षेत्रों में चार प्रतिशत फसल पर असर पड़ा है। 

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