पीलीभीत: तराई में लुढ़का पारा, बर्फीली हवा ने बढ़ाई गलन, अब 30 दिसंबर से बंद रहेंगे स्कूल 

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Published By Om Parkash chaubey
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पीलीभीत, अमृत विचार: बीते दिनों दिनों में बदलते मौसम ने तराई के लोगों को शीतलहर का एहसास कराना शुरू कर दिया है। दिसंबर के अंतिम दिनों में अचानक बढ़ी ठंड से हर कोई बेहाल हो उठा है। ऐसे में नए साल में सर्दी और बढ़ना तय माना जा रहा है। घने कोहरे ने जहां वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी है। वहीं, बफीर्ली हवा ने गलन बढ़ा दी है। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 19.1 डिग्री सेल्सियस जबकि न्यूनतम तापमान 6.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले दिनों में अभी और पारा लुढ़केगा।नगर पालिका की ओर से इस बार अलाव लगवाना शुरू तो हो गए है। मगर अभी रात के वक्त गिने-चुने प्वाइंटों पर ही इसकी व्यवस्था कराई जा रही है। दिन के वक्त कहीं अलाव नहीं लग रहे हैं। इधर, सर्दी बढ़ी तो रिक्शा चालक, अन्य तमाम लोग चौराहों पर या सड़क किनारे कूड़ा करकट, लकड़ी आदि की व्यवस्था करके आग जलाकर राहत पाने में जुटे रहे।

गौहनिया चौराहा नौगवां चौराहा, नकटादाना चौराहा, रेलवे स्टेशन, रोडवेज के आसपास के इलाकों में दिन में ही कई जगह ऐसा दृश्य दिखाई दिया। बता दें कि शासन स्तर से शीतकालीन अवकाश 31 दिसंबर से लेकर 15 जनवरी 2024 तक पूर्व से ही घोषित किया जा  चुका था। मगर अचानक बढ़ी सर्दी को देखते हुए 30 दिसंबर को भी अवकाश घोषित कर दिया गया है।

डीएम प्रवीण कुमार के निर्देश पर कक्षा एक से आठ तक के समस्त स्कूलों का अवकाश बीएसए अमित कुमार सिंह और  कक्षा 12 तक के स्कूलों के अवकाश का आदेश डीआईओएस गिरजेश कुमार चौधरी की ओर से जारी कर दिया गया है। 

सेहत को भी लगी ठंड, खांसी जुकाम के मरीज बढ़े: सर्दी का असर सेहत पर भी भारी पड़ने लगा है। अस्पतालों में मरीज बढ़ने लगे हैं। इनमें ज्यादातर मरीज सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, पेटदर्द और सांस के निकल रहे हैं। सरकारी अस्पतालों से लेकर निजी अस्पताल और मेडिकल स्टोरों तक इन्हीं के मरीज पहुंचकर दवा लेते रहे।

मेडिकल कॉलेज की शुक्रवार को ओपीडी 875 रही। जिसमें से 50 फीसदी से अधिक मरीज इन्हीं बीमारी से संबंधित के पहुंचे थे। मेडिकल कॉलेज के फिजीशियन डॉ.रमाकांत सागर ने बताया कि  इस मौसम में सर्दी, जुकाम, सिरदर्द, गले में खराश, खांसी, पेट दर्द व कफ का अधिक बनना आम बात है। मौसम के परिवर्तन को देखते हुए सावधानी बरतें।

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