बरेली: चलने के लिए नहीं... जेब भरने के लिए बन रही है सड़क
बिथरी के गांव आलमपुर गजरौला में सीसी रोड के निर्माण में बजरफुट के बजाय स्टोन डस्ट के इस्तेमाल से लोगों में गुस्सा
बरेली/बिथरी चैनपुर, अमृत विचार। सड़कों के खराब गुणवत्ता से निर्माण पर मुख्यमंत्री कई बार नाराजगी जताने के साथ ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट करने के साथ अफसरों पर भी कार्रवाई के निर्देश दे चुके हैं लेकिन इस सबका नीचे से ऊपर तक कोई असर नहीं है।
बिथरी के गांव आलमपुर गजरौला में ग्रामीणों के 12 साल के संघर्ष के बाद 80 लाख की लागत से बन रही सड़क में बजरफुट के बजाय मिट्टी मिली बालू यानी स्टोन डस्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अफसरों की अनदेखी से ग्रामीणों में भारी गुस्सा है। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क में बजटफुट की जगह स्टोन डस्ट का इस्तेमाल किए जाने की शिकायत उन्होंने लोक निर्माण विभाग के जेई से की थी लेकिन उसने बजट को कम बताकर पल्ला झाड़ लिया।
इस गांव में पीडब्ल्यूडी को दो किमी लंबी सड़क बनानी है। इसमें एक किमी सीसी रोड बननी है जिसका निर्माण चल रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि स्टोन डस्ट के इस्तेमाल के साथ मोरंग और सीमेंट भी मानक से कम लगाया जा रहा है। जल्द ही सड़क का फिर टूटना तय है, उन्हें फिर समस्या का सामना करना पड़ेगा।
... तो नहीं बनने देंगे सड़क
ठेकेदार और जेई की मनमानी से परेशान गांव के लोगों ने तत्काल सुधार की मांग की है। उनका कहना है गांव में बनाई जा रही सड़क में सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है। अगर ठेकेदार अच्छी क्वालिटी का मैटेरियल इस्तेमाल नहीं करेगा तो सड़क का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। जरूरत पड़ी तो वे आंदोलन तक शुरू करेंगे।
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जेई के अलावा विभाग का कोई अफसर मॉनिटरिंग करने कोई नहीं आया। इसी कारण ठेकेदार मनमानी कर रहा है। स्टोन डस्ट का इस कदर इस्तेमाल किया जा रहा है कि कुछ ही दिन में सड़क फिर खराब हो जाएगी और उन लोगों को फिर समस्या से जूझना पड़ेगा।
बजरफुट से स्टोन डस्ट 30 से 35 प्रतिशत तक सस्ता इसलिए मानकों की धज्जियां
ठेकेदार और विभाग के ही इंजीनियरों के मुताबिक स्टोन डस्ट का उपयोग सिर्फ फर्श का बेस तैयार करने में होता है। सीसी रोड में बजरफुट का ही प्रयोग करने का मानक है। बजरफुट स्टोन डस्ट की तुलना में काफी महंगी पड़ती है। करीब 30 से 35 फीसदी लागत कम आने के कारण ठेकेदार स्टोन डस्ट का ही उपयोग करते हैं, हालांकि गुणवत्ता पर इससे भारी फर्क पड़ता है।
करीब 12 साल बाद सड़क बनने की नौबत आई है, फिर भी घटिया सामग्री लगाई जा रही है। सीएम भले ही भ्रष्टाचार पर सख्ती का दावा करें लेकिन अफसरों-ठेकेदारों पर कोई फर्क नहीं है।- गुलाम मोहम्मद, ग्रामीण
सड़क बनाने में बजरी के साथ बजरफुट के बजाय मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है। सड़क बनने के बाद कितने दिन चलेगी यह इसका जवाब कोई नहीं देगा। खामियाजा ग्रामीण भुगतेंगे। - मो. जीशान,ग्रामीण
मानकों की अनदेखी किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगी। ग्रामीणों की शिकायत मुझे नहीं मिली है लेकिन अगर इस तरह की गड़बड़ी हो रही है तो ठेकेदार पर कार्रवाई की जाएगी। बृहस्पतिवार को ही सहायक अभियंता को भेजकर गुणवत्ता की जांच कराएंगे।
- नारायण सिंह, एक्सईएन प्रांतीय खंड
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