रोना भी जरूरी है... जज्बातों को बयां करना भी है जरूरी, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

रोना भी जरूरी है... जज्बातों को बयां करना भी है जरूरी, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

बरेली, अमृत विचार। कहते हैं हमेशा खुश रहना चाहिए, खूब हंसना चाहिए। ऐसा हो जाए तो इससे बेहतर कुछ और हो ही नहीं सकता लेकिन हर इंसान के हालात और जज़्बात एक जैसे नहीं होते हैं। कभी वो किसी बात से खुश हो जाता है तो कभी किसी जोक पर ज़ोर-ज़ोर से ठहाके लगाने लगता है। वहीं कई बार कुछ ऐसा भी होता है कि इंसान बिना किसी बात के रोने लग जाता है। 

कई बार ऐसा भी होता है की कुछ लोग अपने जज्बातों को बयां करना पसंद नहीं करते या फिर कर नहीं पाते हैं। अगर व्यक्ति अक्सर अपने जज्बातों को बयां नहीं करे तो ऐसे में उसे कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कई बार तो ऐसे लोग तनाव के शिकार भी हो जाते है। ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि सप्ताह में एक बार रोना भी मानसिक स्वास्थ्य के बेहद लाभदायक साबित हो सकता है। 

जानिए एक्सपर्ट की राय
मनोवैज्ञानिक डॉ. अशीष ने बताया कि हमारे पास कुछ मरीज ऐसे आते हैं जो एंजाइटी और तनाव के शिकार होते हैं। ऐसे में जब उनसे खुल कर बातें की जाती हैं तब पता चलता है कि वह अपनी भावनाएं किसी से व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं या फिर उनका कोई ऐसा करीबी नहीं जिसे वह बता पाएं। मन की बात को वह अगर निकाल नहीं पा रहा है या फिर बता नहीं पा रहा है तो ऐसे व्यक्ति को सप्ताह में दो बार अपने जज्बातों को बयां जरूर करना चाहिए। 

किसी को भी अपनी भावनाएं बहुत ज्यादा छुपाना और दबाना नहीं चाहिए। अगर वह अपने जज्बातों को बयां नहीं करता है तो ऐसे में उसे आगे चलकर कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। डॉ.आशीष का कहना था कि सिर्फ रो लेने भर से मन हल्का हो जाता है और इससे टेंशन में कमी आ सकती है।

जज्बातों को बयां नहीं करने पर आ सकती है ये समस्या 
जज्बातों को ज्यादा समय बयां न करने पर व्यक्ति एंजायटी डिसऑर्डर, फोबिया, बेचैनी जैसी समस्याओं का शिकार हो सकता है। इस तरह की समस्या होने पर व्यक्ति के पास अगर कोई बात सुनने वाला नहीं है तो वह मनोविज्ञानिक के पास जा कर भी अपनी काउंसलिंग करवा सकता है।

यह भी पढ़ें- Bareilly News: सपा को लगा झटका, पूर्व जिला उपाध्यक्ष सत्येंद्र यादव ने थामा भाजपा का दामन