लखनऊ: गोमती के रिवर बेड पर अवैध कब्जा मामले पर हाईकोर्ट सख्त, एसडीएम मलिहाबाद से तलब की रिपोर्ट

लखनऊ: गोमती के रिवर बेड पर अवैध कब्जा मामले पर हाईकोर्ट सख्त, एसडीएम मलिहाबाद से तलब की रिपोर्ट

लखनऊ, विधि संवाददाता। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गोमती नदी के तल (रिवर बेड) की जमीनों पर अवैध कब्जा के आरोपों को लेकर सख्त रुख अपनाया है। न्यायालय ने एसडीएम मलिहाबाद को इस सम्बंध में विस्तृत रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। साथ ही न्यायालय ने सम्बंधित क्षेत्र के सर्वे का भी आदेश दिया है।

न्यायालय ने राज्य सरकार को भी आदेश दिया है कि वह सुनियोजित योजना बनाकर प्रश्नगत जमीन को हरित क्षेत्र के तौर पर विकसित करने पर विचार कर सकती है। मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी। न्यायालय ने कहा है कि इस दौरान अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई के लिए प्रशासन स्वतंत्र है।

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने दीपक शुक्ला उर्फ तिरंगा महाराज की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया है। याचिका में नीलांश थीम वाटर पार्क, नीलांश प्रॉपर्टीज, नीलांश बिल्डर्स, संतोष श्रीवास्तव, सतीश श्रीवास्तव, राजेश श्रीवास्तव व मदन लाल को प्रतिवादी बनाते हुए, उन पर ग्राम बदैया व टिकरी कलां में पड़ने वाले गोमती नदी के रिवर बेड पर अवैध कब्जा कर, व्यावसायिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है।

याची की ओर से दलील दी गई कि उक्त जमीनों पर अवैध कब्जा पाते हुए, उन्हें हटाने का आदेश एसडीएम, मलीहाबाद ने 20 जनवरी 2020 को ही पारित किया था लेकिन उक्त आदेश का अब क्रियान्वयन नहीं हो सका है। वहीं राज्य सरकार के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि उक्त आदेश के विरुद्ध एक पुनर्स्थापना प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया यथा, हालांकि इसे भी इसी 10 जनवरी को खारिज कर दिया गया। न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के उपरांत पारित अपने आदेश में कहा कि ऐसा लगता है कि उक्त रिवर बेड पर स्थायी निर्माण किया गया है, पर्यावरण के लिहाज से भी इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।   

मॉडल जेल में कैदियों को भोजन देने की व्यवस्था पर अगली सुनवाई 28 को 

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से पूछा है कि लखनऊ मॉडल जेल में बंद कैदियों के भोजन की क्या व्यवस्था है। इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी जानकारी मांगी है कि अंडर ट्रायल व दोषसिद्ध कैदियों के कमाई पर निर्भर उनके परिवारों को सहयोग किए जाने की भी क्या कोई योजना है। मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने वर्ष 1998 में मॉडल जेल से मिले एक कैदी के पत्र के आधार पर दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है। यह पत्र इश्तियाक हसन खान नाम के कैदी ने भेजा था।

न्यायालय ने राज्य सरकार के अधिवक्ता को निर्देश प्राप्त कर यह जानकारी भी देने को कहा है कि मॉडल जेल में कुल कितने विचाराधीन कैदी और कितने सजायाफता कैदी बंद हैं और इनमें पुरूष व महिला कैदियों की संख्या कितनी है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या किसी महिला कैदी के साथ कोई बच्चा भी रह रहा है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिए जाने की मांग की जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।

न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि अगली सुनवाई पर जेल प्रशासन के कार्यों का जानकार कोई अधिकारी भी कोर्ट के सहयोग के लिए सुनवाई के दौरान उपस्थित रहे।

Untitled-50 copy

यह भी पढ़ें: बहराइच: चोरी के लिए घर में घुसे नकाबपोश बदमाश, युवती ने विरोध किया तो कर दिया चाकू से हमला, हालत गंभीर