Pilibhit News: आयुर्वेदिक फार्मेसी...सीमित स्टाफ के दम पर 19 जिलों को कर रही दवा सप्लाई  

महज पांच कंधों पर है राजकीय फार्मेसी के संचालन की जिम्मेदारी, प्रदेश के 459 आयुर्वेदिक चिकित्सालयों को की जाती है दवा सप्लाई

Pilibhit News: आयुर्वेदिक फार्मेसी...सीमित स्टाफ के दम पर 19 जिलों को कर रही दवा सप्लाई  

सुनील यादव/पीलीभीत, अमृत विचार। आयुर्वेदिक दवाओं की सप्लाई में प्रदेश में दूसरा स्थान रखने वाली ललित हरि राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी सिस्टम के मकड़जाल में फंसी हुई है। वैसे तो फार्मेसी के संचालन को दस पद सृजित है। मगर, यहां की सारी व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी महज पांच कंधों पर ही चल रही है। यह दीगर बात यह है कि सीमित स्टाफ के दम पर ही यह फार्मेसी प्रदेश के 19 जिलों को दवा सप्लाई कर रही है।

असाध्य रोगों के इलाज के लिए वर्ष 1899 में पीलीभीत राज परिवार के लालता प्रसाद और उनके भाई हरिप्रसाद ने आयुर्वेदिक कॉलेज की स्थापना कराई थी। ताकि लोगों को सस्ता और बेहतर इलाज मिल सके। बताते हैं कि शुरू में जिस भवन में आयुर्वेदिक कॉलेज की शुरूआत की गई, वह राज परिवार का घुड़साल हुआ करता था। भवन में बने आवासों में ही कक्षाएं संचालित की जाने लगीं। उन्नीस के दशक में आते-आते हुए टीचिंग फार्मेसी की शुरूआत हुई। जिसमें छात्र-छात्राओं को औषधियों के निर्माण की प्रक्रिया से रूबरू कराया जाता था।

फार्मेसी में बनाई जा रही दवा

इसके बाद कॉलेज के पीछे ही करीब बीस एकड़ जमीन भी मुहैय्या करा दी गई। जहां एकेडमिक ब्लाक एवं राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी स्थापित की गई थी। वर्ष 1991 में फार्मेसी को कॉलेज परिसर से हटाकर अलग से बने एक भवन में स्थानांतरित कर दिया गया। तबसे उसी भवन में फार्मेसी का संचालन हो रहा है। वैसे तो

फार्मेसी में फार्मेसी अधीक्षक समेत करीब 14 पद सृजित है। फार्मेसी अधीक्षक के पद पर डॉ. प्रकाश चंद्र तैनात है। भृत्त (दवा बनाने वाले) के चार सृजित पदों में मात्र एक की तैनाती है। जबकि फार्मासिस्ट, प्रयोगशाला सहायक का एक-एक पद रिक्त चल रहा है। यहां निर्माण वैद्य के पद पर जगदीश कुमार तैनात है, मगर वह इसी माह में सेवानिवृत होने वाले हैं। खास बात यह है कि इस फार्मेसी में पैकर, चौकीदार, चपरासी एवं स्वच्छक का भी एक-एक पद सृजित है, लेकिन इन चारों पदों पर आउटसोर्सिंग कर्मचारियों से ही काम चलाया जा रहा है। ऐसे में आने वाले समय में फार्मेसी की व्यवस्थांए दुरुस्त रखना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा।

459 चिकित्सालयों में दवा सप्लाई की है जिम्मेदारी
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में एक दौर था जब १७ तरह की दवाएं बनती थी। बीच में व्यवस्थाएं गड़बड़ाई तो यहां मात्र छह प्रकार की दवाएं ही बनने लगी, लेकिन बाद में स्थितियों में सुधार हुआ। वर्तमान में यहां 30 प्रकार की दवाओं का निर्माण किया जा रहा है। मौजूदा समय में फार्मेसी प्रदेश के 19 जिलों के 459 चिकित्सालयों में दवाएं सप्लाई कर रही है।

राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी में स्टॉफ की कमी पूर्व से ही चली आ रही है। इसमें एक पद इसी माह खाली होने जा रहा है। चार पदों पर आउटसोर्स कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है। सीमित स्टाफ के सहारे ही बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है - डॉ. भारत ज्योति, प्रभारी अधीक्षक, राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी।

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