Bareilly News: वन विभाग की दरियादली...IFFCO दबाए बैठा है सैकड़ों बीघा जमीन

Bareilly News: वन विभाग की दरियादली...IFFCO दबाए बैठा है सैकड़ों बीघा जमीन

बरेली/आंवला, अमृत विचार। किसानों की जमीन पर अवैध कब्जों को लेकर घिरा इफको वन विभाग की सैकड़ों बीघा जमीन भी कई दशक से दबाए बैठा है। सब कुछ पता होने के बावजूद वन विभाग इफको के अधिकारियों के रसूख की वजह से अपनी जमीन को कब्जे में लेने की कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।

क्षेत्र के किसान ऊदल सिंह वर्मा ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के नेतृत्व में 9 जनवरी को किसानों ने अपनी मांगों को लेकर इफको मेनगेट के समीप वन विभाग की जमीन पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया था। यह धरना समाप्त होने के बाद इफको ने दबंगई के बल पर वनविभाग की जमीन पर बाउंड्रीवाल बनवाना शुरू कर दिया। वर्तमान में इसकी नींव भर चुकी है और बाकी काम भी जारी है।

इन जमीनों पर कर रखा है कब्जा
जानकारी के मुताबिक इफको ने वन विभाग की सेंधा रकबा में गाटा संख्या 168 रकबा 6.375 हेक्टेयर, गाटा संख्या 38 रकबा 39.032 हेक्टेयर, जंगल गाटा संख्या 287 रकबा 9.864 हेक्टेयर, बंजर भूमि गाटा संख्या 110 रकबा 0.228 हेक्टेयर, गाटा संख्या 111 रकबा 0.202 हेक्टेयर, गाटा संख्या 114 रकबा 0.114 हेक्टेयर, गाटा संख्या 115 रकबा 0.177 हेक्टेयर, गाटा संख्या 124 रकबा 0.114 हेक्टेयर, गाटा संख्या 125 रकबा 0.063 हेक्टेयर, परास रकवे में गाटा संख्या 217 रकबा 0.3160 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा है। 

वहीं भरताना गांव निवासी राजेश्वर सिंह की गाटा संख्या 127/5 रकबा 0.3160 हेक्टेयर पर भी इफको का कब्जा है। खतौनी में राजेश्वर सिंह की मिल्कियत सरकार दर्ज है। ग्रामीणों की मानें तो राजेश्वर की करीब दो साल पहले मौत हो चुकी है। अब जमीन सरकार की हो गई। निजी जमीन होने के बावजूद इफको कब्जा जमाए है। ग्रामीणों की मानें तो उक्त सरकारी जमीन को ग्राम सभा के नाम कराने और इफको से मुक्त कराने की वह लंबे समय से मांग कर रहे हैं। एसडीएम को भी इस संबंध में ज्ञापन दिया जा चुका है।

अधिग्रहण के समय यह हुआ था समझौता
ग्राम सेंधा निवासी इंजीनियर ओमप्रकाश सक्सेना ने नवंबर 2022 में मंडलायुक्त और वन विभाग के अधिकारियों से इफको प्रबंधन की शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि सन 1984 में जमीन अधिग्रहण के समय सरकार और इफको प्रशासन के बीच लिखित समझौता हुआ था कि संयंत्र निर्माण के बाद ग्राम सभा और जंगल की बची भूमि को संयंत्र को लौटानी होगी, लेकिन इफको प्रशासन ने ऐसा नहीं किया। आज भी कई एक एकड़ ग्राम सभा और जंगल की भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है। जिसके चलते सेंधा ग्राम में कोई खेल मैदान नहीं बन सका, दसवां स्थल ,सार्वजनिक शौचालय के लिए भी भूमि उपलब्ध नहीं है।

भूमाफिया की तरह काम कर रही इफको
किसानों का आरोप है कि इफको इकाई एक भूमाफिया की तरह कार्य कर रही है। किसानों की हितैषी होने का सिर्फ मुखौटा पहन रखा है। यह सारे नियम कानून इफको अपने हिसाब से चलाती है। पहले भूमि पर अतिक्रमण करती है फिर अगर कोई आपत्ति या वाद न्यायालय में दायर होता है तो कई बाधा डालते हैं और अगर निर्णय हो भी जाता है तो कब्जा नहीं छोड़ती है। 40 साल से इफको आंवला इकाई ने वन विभाग के अलावा पीडब्ल्यूडी, ग्राम सभा और किसानों की जमीन पर जबरन अवैध कब्जा व अतिक्रमण कर रखा है।

प्रकरण उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है। कार्यालय से पहले इफको को इस संबंध में नोटिस जारी किए गए थे। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, जब तक कोई निर्णय नहीं आता तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता। - समीर कुमार, प्रभागीय वनाधिकारी, वन विभाग

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